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भोपाल

वनरक्षकों ने सीएम मोहन यादव को लिखा पत्र, वसूली रोकने की रखी मांग

forest guards : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वनरक्षकों से हो रही वसूली को रोकने की मांग को लेकर वनरक्षकों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को खून से लिखा हुआ पत्र भेजा।

भोपालOct 05, 2024 / 04:55 pm

Akash Dewani

Forest Guards
Forest Guards : मध्य प्रदेश में इन दिनों वनरक्षकों से वसूली की जा रही है। यह वसूली वित्त विभाग द्वारा वन विभाग के वेतन वितरण में हुई गड़बड़ी के कारण की जा रही है। अब इस वसूली को रोकने के लिए रीवा और सतना के वनरक्षकों ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को पत्र लिखा है। यह पत्र उन्होंने अपने खून से लिखा है।
वनरक्षकों का कहना है कि वन और वित्त विभाग द्वारा जो वेतन वितरण में गलतियां हुई है उसकी सजा उन्हें क्यों दी जा रही है। बता दें कि, पिछले महीने की 19 तारीख को मध्य प्रदेश सरकार ने वन विभाग द्वारा वेतन वितरण में की गई गड़बड़ी के चलते वनरक्षकों से 165 करोड़ वसूलने का निर्देश जारी किया था।
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वसूली करना गलत – वनरक्षक

सीएम मोहन यादव को खून से लिखे पत्र में वनरक्षकों ने कहा वेतन बैंड क्या देना है यह तो वन और वित्त विभाग ने तय किया है तो 12 प्रतिशत बयाज दर पर वनरक्षकों से अतिरिक्त राशि को वसूलना गलत है। पत्र में लिखा गया है कि इन दोनों विभागों की गलती की सजा वनरक्षकों को क्यों दी जा रही है? बता दें कि, सतना और रीवा जिलों में खून से पत्र लिखने वाले वनरक्षकों में मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच सतना के विभागीय समिति अध्यक्ष नरेंद्र पयासी, अरविंद सिंह, मुकेश पांडे, बृजलाल वर्मा, संजय प्रजापति, रमायण यादवेन्द्र, ब्रजेश मिश्रा आदि शामिल हैं।
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सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की टिपण्णी

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे ने इस विषय में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि विभाग की गलती से यदि कर्मचारियों को अधिक वेतन भुगतान किया जाता है तो उसकी वसूली कर्मचारियों के वेतन से नहीं होगी। वहीँ हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट कहा है कि वनरक्षकों के वेतन से वसूली करना विधि सम्मत नहीं है।
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6592 वनरक्षकों से वसूले जाएंगे 165 करोड़

बता दें कि, प्रदेश के 6592 वनरक्षकों से 165 करोड़ रुपए की वसूली की जा रही है। सितंबर के माह में मध्य प्रदेश सरकार को वित्त विभाग ने वन विभाग में वेतन वितरण को लेकर चल रही गड़बड़ी का पूरा विवरण दिया था। इसमें बताया गया था कि वन रक्षक भर्ती नियम के अंतर्गत वनरक्षकों को 5200+1800 का वेतन बैंड दिया जाना था लेकिन 1 जनवरी 2006 से 8 सितंबर 2014 तक 6592 वनरक्षकों को 5680+1900 का वेतन बैंड दिया गया था। इससे सरकार को करीब 165 करोड़ का घाटा हुआ था। मोहन सरकार ने इस गड़बड़ी पर बड़ा एक्शन लेते हुए वनरक्षकों से पैसे वसूलने का आदेश दिया था। इस आदेश में कहा गया था कि साल 2006 से कार्यरत प्रत्येक वनरक्षक से पांच लाख रूपए और 2013 से कार्यरत वनरक्षक से 1.5 लाख रुपए वसूले जाएंगे। इस पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी लौटना होगा। मैदानी वनरक्षक अधिकारियों से वसूली का काम शुरू भी हो चूका है।अचानक सामने आए इस संकट से वनरक्षक परेशान हैं और विभाग के अधिकारियों से लेकर मंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं।

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