भोपाल। अक्टूबर 2016 में भोपाल जेल ब्रेक मामले को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी झेल रहे प्रदेश पर एनसीआरबी की रिपोर्ट का यह खुलासा शर्मसार कर रहा है। दरअसल एमपी की जेलों की स्थिति देशभर में सबसे बदहाल है। अब प्रदेश का नाम उस सूची में शामिल हो गया है, जहां कैदियों को ठूस-ठूसकर रखा जाता है।
हैरान कर देंगी प्रदेश की जेलों की ये स्थिति
* आंकड़ों के मुताबिक जेल में कैदियों को क्षमता से अधिक रखने के मामले में मध्यप्रदेश देश के टॉप 5 स्टेट्स की सूची में शामिल हो गया है।
* प्रदेश की जेलों की ऑक्यूपेंसी रेट 139.8 है। हालांकि एक समय में मध्य प्रदेश का ही हिस्सा रहा छत्तीसगढ़ इस मामले में 233.9 फीसदी के साथ टॉप पर है।
* ऑक्यूपेंसी रेट जेल में रहने वाले कैदियों की उस वास्तविक संख्या को प्रदर्शित करती है, जो 100 कैदियों के लिए बनाई गई जेल में बंद हैं।
* वहीं दिल्ली में यह आंकड़ा 226.9, मेघालय में 177.9 और उत्तरप्रदेश में 168.8 है।
* रिपोर्ट के मुताबिक दोषी ठहराए गए लोगों के जेल में रहने के मामले में भी मध्यप्रदेश देशभर के राज्यों में दूसरे स्थान पर है।
* प्रदेश की 39 जिला जेलों और 72 उपजेलों में इस समय दोषी ठहराए गए 17 हजार 58 कैदी हैं, वहीं विचाराधीन कैदियों की संख्या 21 हजार 300 है।
* एक तरफ जहां मध्यप्रदेश देश के उन प्रदेशों में शामिल है, जहां एक भी महिला जेल नहीं है, वहीं पूरे प्रदेश में दोषी ठहराई गईं महिला कैदियों की संख्या 603 है, जो देश में दूसरे स्थान पर है।
* प्रदेश में महिला विचाराधीन कैदियों की संख्या 718 है।
* प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों में से 453 मानसिक तौर पर बीमार हैं, जो सिर्फ उत्तरप्रदेश (781) से कम है। प्रदेश की जेलों में कुल 35 विदेशी भी शामिल हैं, जो अलग-अलग अपराधों के कारण जेलों में कैद हैं।
* बालदोष-सुधार संस्था के मामले में भी मध्यप्रदेश देश के कई प्रदेशों से पिछड़ हुआ है।
* नरसिंहपुर स्थित प्रदेश के एकमात्र ऐसे स्कूल को बंद किए जाने के बाद से प्रदेश उन प्रदेशों में शामिल हो गया है, जहां किशोर अपराधियों के लिए कोई स्कूल नहीं है।
* जेलों की बदहाल स्थिति का बड़ा कारण लंबे समय से क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जाना है।
* सीमित संसाधनों और ओवर क्राउडिंग के बीच कैदियों की सुरक्षा व्यवस्था और उनके हाईटेक होने की चुनौती से विभाग लगातार जूझ रहा है।
* इसी के चलते जेल में अपराधों की संख्या भी बढ़ रही है।
* प्रदेश में कैदियों के मानवाधिकार हनन के मामले भी कम नहीं है।