इस कर्ज के जरिए प्रदेश सरकार साल 2038 तक आरबीआई को ऋण चुकाती रहेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2022 में मध्य प्रदेश सरकार को 57 हजार करोड़ का वित्तीय घाटा हुआ है। सरकार आय से अधिक खर्च कर चुकी है। जानकारी के अनुसार, तीन लाख करोड़ रुपए लोन चुकाने के लिए सरकार को हर साल 46 हजार करोड़ रुपए कर के चुकाने पड़ रहे हैं। ऐसे में अब प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज से सूबे में सियासी पारा भी गर्माने लगा है।
कांग्रेस का तंज
शिवराज सरकार द्वारा लिए गए कर्ज पर एक बार फिर सियासी बयानबाजी शुरु हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस की ओर से सरकार द्वारा लगातार लिए जा रहे कर्ज को लेकर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता के.के मिश्रा ने कहा कि, सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है। उन्हें मालूम है कि, अब सत्ता में वापसी तो होगी नहीं तो कर्ज ही ले लिया जाए। सरकार सत्ता से जाने के पहले जनता को कर्ज के बोझ से दबाना चाहती है।
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सरकार की सफाई
मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि कर्ज हर सरकार लेती है चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस। कर्ज लेने की हर सरकार की सीमा तय है। तय लिमिट से ज्यादा कोई भी सरकार कर्ज नहीं ले सकती है। विपक्ष सिर्फ कर्जे के नाम पर जनता का गुमराह कर रहा है। सत्ता में रहते हुए कांग्रेस सरकारों ने भी कर्जा लिया था।
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