खास बात यह है कि इन अफसरों के पास आइआइटी, आइआइएम, लंदन स्कूल आफ इकॉनोमिक्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई का अनुभव है। सीएमओ के अफसरों का यह समूह चिकित्सा, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र, प्रबंधन, राजनीति, साहित्य जैसे विषयों का जानकार भी है। कुछ और नाम जुड़ेंगे अभी कुछ अफसरों की सीएमओ में और पदस्थापना हो सकती है। वहीं कुछ की जिम्मेदारियों में बदलाव किया जा सकता है। अगले हफ्ते तक नए सिरे से कामकाज का बंटवारा हो सकता है। अहम ये भी डॉ. राजौरा सीएस पद की दौड़ में भी शामिल हैं।
MP News: सीनियर IAS अफसरों को बड़ी जिम्मेदारी, राजेश राजौरा और संजय शुक्ल संभालेंगे सीएम ऑफिस डॉ. राजेश राजौरा एसीएस 1990 बैच, एमबीबीएस मेहनती, तेजतर्रार और अनुभवी अफसर हैं। अनेक बड़े विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। कृषि पीएस रहते 6 कृषि कर्मण मिले। अभी जल संसाधन, एनवीडीए भी संभाल रहे। गृह, उद्योग, उद्यानिकी, परिवहन में रह चुके हैं।
संजय शुक्ल, पीएस 1994 बैच, बीई (मैकेनिकल) तेज गति से काम करने वाले अफसर की छवि। महिला बाल विकास की जिम्मेदारी भी संभाल रहे। उद्योग, बिजली, पीएचई, नगरीय प्रशासन सहित अनेक विभागों में रह चुके हैं। भोपाल के कलेक्टर भी रहे। बीते ढाई साल में कई तबादले हुए, लेकिन मेहनत, लगन और परफॉर्मेंस में कमी नहीं आने दी।
राघवेंद्र सिंह, पीएस 1997 बैच, बीई, एमटेक, एमबीए सीएम बनने के बाद डॉ. मोहन यादव की पसंद के पहले अफसर बने। इन्हें सीएम ने प्रमुख सचिव बनाया। साफ छवि और अच्छे टीम लीडर। इंदौर में कलेक्टर, बिजली कंपनी सीएमडी, वाणिज्यिकर आयुक्त रहे। उच्च शिक्षा, खनन सहित अनेक विभाग संभाल चुके हैं। अभी उद्योग व लोकसेवा प्रबंधन की जिम्मेदारी भी है।
भरत यादव, सचिव 2008 बैच, एमए लोकसभा चुनाव के पहले तैनाती हुई है। नगरीय प्रशासन आयुक्त की जिम्मेदारी भी है। मुरैना, ग्वालियर में कलेक्टर रह चुके हैं। हाउसिंग बोर्ड, जीएडी विभाग में रहे हैं। रेलवे के टीटी की नौकरी छोड़कर आइएएस बने थे।
अविनाश लवानिया अपर-सचिव 2009 बैच बीटेक, एमटेक (आइआइटी) भोपाल, उज्जैन कलेक्टर रह चुके हैं। मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के प्रबंध संचालक भी हैं। मेहनती, कुशल प्रशासक। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक होने के बाद भी बेदाग छवि।
चंद्रशेखर वालिम्बे, अपर सचिव 2010 बैच, बीटेक (आइआइटी) उच्च शिक्षा, मैप आईटी, रेरा, राजस्व जैसे विभागों में रह चुके हैं। मेहनती व बेहतर प्रबंधन वाले अधिकारी माने जाते हैं। अदिति गर्ग, उपसचिव
2015 बैच एमएससी (इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंस) लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स स्वास्थ्य सेवाओं का काम भी है। मेहनती अफसर। महिला बाल विकास, उज्जैन निगम में रही। इंदौर स्मार्ट सिटी सीईओ रहते अवकाश के दिन काम की परंपरा पर सवाल उठा चुकी हैं।
अंशुल गुप्ता, उपसचिव 2016 बैच, एमटेक (आइआइटी), एमबीए (आइआइएम) अभी सीएम उपसचिव के अलावा राज्य लोकसेवा अभिकरण व समग्र मिशन सहित अन्य कई काम हैं। उज्जैन निगम आयुक्त रह चुके हैं। सिविल सेवा में आने से पहले एलएंडटी, विप्रो में काम करने का अनुभव रहा है।