विभागों को सभी योजनाओं का मूल्यांकन करने के साथ उनका लाभ, खर्च और फायदा भी बताना होगा जिसके बाद ही बजट को तैयार किया जाएगा। वित्त विभाग ने 5 दिसंबर तक नए योजनाओं के प्रस्ताव मांगे है। सभी जानकारी मिलने के बाद 23 दिसंबर-15 जनवरी तक प्रमुख सचिव स्तर की चर्चा होगी और अंत में 27-30 जनवरी तक मंत्री और वित्त मंत्री सभी प्रस्तावों और सभी जानकारियों का आंकलन करेंगे।
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इस बजट प्रक्रिया के अंतर्गत सभी विभागों को अपने बजट प्रस्ताव को लेकर यह भी बताना होगा उनका बजट अनुमान किस आधार पर किया गया है। विभागों को पिछले साल के खर्च (Expenditure) को ध्यान में रखकर प्रस्ताव तैयार करना होगा। इससे वर्तमान योजनाओं, कार्यक्रमों या गतिविधियों के वित्त पोषण और प्रदर्शन स्तरों की व्यवस्थित समीक्षा और औचित्य पर ध्यान केंद्रित करके संसाधनों को पुनः वंटित किया जा सकेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि ऐसी योजनाओं जो वर्तमान में अपनी उपयोगिता खो चुकी है और जिन्हें समाप्त किया जा सकता हो उन्हें चिंहित कर उनका आंकलन किया जा सकेगा।
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शून्य आधारित बजट में एक ऐसा बजट होता है जिसमे अनुमान शून्य से प्रारंभ किये जाते हैं। शून्य आधारित बजट में गत वर्षों के व्यय संबंधी आंकड़ों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। इस प्रणाली में कार्य इस आधार पर शुरू किया जाता है कि अगली अवधि के लिए बजट शून्य है। इस प्रक्रिया में यह बताया जाना जरुरीं है कि चले आ रही योजनाओं और नविन प्रोजेक्ट में खर्चा क्यों और कितना किया जाना चाहिए। इसका सीधा मतलब यह है कि कार्य अथवा परियोजना का जब तक औचित्य नहीं दिया जाता है तब तक नया पैसा जारी नहीं किया जाता है।
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पारंपरिक बजट में पिछले साल के बजट को आधार बनाकर अगले साल का बजट तैयार किया जाता है। वहीं, शून्य-आधारित बजट में हर साल बजट की शुरुआत फिर से शुरू से की जाती है।
पारंपरिक बजट में पिछले साल के बजट में बदलाव करके अगले साल का बजट तैयार किया जाता है। वहीं, शून्य-आधारित बजट में हर लाइन आइटम की ज़रूरत और लागत का विश्लेषण करने के बाद बजट तैयार किया जाता है।
पारंपरिक बजट में इतिहास के आंकड़ों और भविष्य के अनुमानों के आधार पर आय और खर्चों का अनुमान लगाकर संसाधनों का आवंटन किया जाता है। वहीं, शून्य-आधारित बजट का मकसद असली खर्चों को पेश करना होता है।
शून्य-आधारित बजट बनाने में ज़्यादा समय लगता है। इसमें पुरानी योजनाओं की समीक्षा करने और नई योजनाओं को शुरू करने में काफ़ी समय लग जाता है।