patrika.com महर्षि महेश योगी की पुण्य तिथि पर आपको बता रहा है उनसे जुड़े किस्से…।
महर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi) ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (Transcendental Meditation) एक आंदोलन के रूप में दुनियाभर में प्रसारित होने लगी थी। खासकर अमरीका और यूरोप में तो यह काफी लोगों को प्रभावित कर चुकी थी। उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे। विदेशों से लेकर भारत में भी उनके शिक्षण संस्थानों की शृंखला चल रही है। वे उस समय सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने अपने भक्तों को ‘उड़ना सिखाने’ का दावा किया था। इस योग में उनके भक्त फुदकते हुए उड़ने की कोशिश करते थे।
अलग ही मुद्रा चलाई थी
योगी का प्रभाव इतना बढ़ गया था कि उन्होंने राम नाम की एक नई मुद्रा भी चलन में ला दी थी, जो यूरोप के कुछ हिस्सों में आज भी चलन में हैं। नीदरलैंड्स ने साल 2003 में इसे कानूनी मान्यता दी थी। राम नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पांच और दस के नोट थे। इस मुद्रा को महर्षि की संस्था ग्लोबल कंट्री वर्ल्ड पीस ने साल 2002 के अक्टूबर में जारी किया था। नीदरलैंड्स के कुछ शहरों और गांवों की दुकानों पर यह नोट चलने लगे थे।
जन्म स्थान पर अलग-अलग मत
योगी (Maharishi Mahesh Yogi) का जन्म 12 जनवरी 1917 को हुआ था। उनका मूल नाम महेश श्रीवास्तव अथवा महेश प्रसाद वर्मा था। वे कायस्थ समाज के थे इस पर लोग एक मत नहीं हैं। वहीं उनके जन्म स्थान को लेकर भी लोगों में दो बाते हैं। एक वर्ग उन्हें छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव का मानता है, जबकि कई लोग उनका जन्म स्थान जबलपुर मानते हैं। 5 फरवरी 2008 को महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड स्थित उनके घर में 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
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