ऐसे मिली पहचान
दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने विधिवत पूजा-हवन करते हुए मंगलवार को इस्लामनगर का नाम जगदीशपुर कर दिया। जनता से इस दौरान उन्होंने पूछा कि जहां बर्बरता, अन्याय, कत्लेआम किए गए, ऐसे नामों को बदलना चाहिए कि नहीं? इस पर जनता का जवाब हां आया तो सीएम शिवराज ने तुरंत कहा कि इसी लिए इसका नाम बदल दिया।
इस अवसर पर सांसद, विधायक, अफसरों से मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-गांव का मास्टर प्लान बनाएं। इसे ऐसा गांव हम बनाएंगे जिसे लोग बस देखते ही रह जाएंगे। एक ऐतिहासिक गांव है जगदीशपुर जहां कत्लेआम हुआ, अब वहां राजाओं के स्मारक बनेंगे।
22 किमी दूरी पर जगदीशपुर
ज्ञात हो कि भोपाल से 22 किलोमीटर की दूरी पर जगदीशपुर है। यहां के नाम पट्टिका का सीएम शिवराज ने अनावरण हवन व पूजा पाठ के पश्चात रिमोट बटन दबाकर किया। इस दौरान ट्वीट कर सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि इस्लाम नगर का 308 साल पुराना गौरव आजादी के 75वें साल में लौट रहा है। जिसके बाद से इसे पुन: जगदीशपुर के नाम से जाना जाएगा। यहां सीएम शिवराज ने 26 करोड़ 71 लाख की परियोजनाओं का भूमिपूजन और लोकार्पण भी किया।
सीएम की जुबानी जगदीशपुर की दास्तां
इस अवसर पर सीएम शिवराज सिंह जगदीशपुर की दास्तां सुनाते हुए कहा कि राजा नरसिंह देव 1715 में यहां के शासक थे। उनके हाथों से मोहम्मद खान नामक मुगल शासक औरंगजेब के सैनिक ने बुरी तरह शिकस्त खाई थी। उसके बाद तत्कालीन राजा नरसिंह देवड़ा से उसने दोस्ती की पहल की। उसकी नीयत से नरसिंह अंजान थे। इसलिए वह नदी के किनारे भोज में गए। वहां उनकी हत्या धोखे से सैनिकों ने कर दी। इसके बाद यहां के कत्लेआम से नदी का पानी तक लाल हो गया था। इसीलिए बांध का नाम तक हलाली पड़ गया था। राजा की हत्या का समाचार जब रानियों तक पहुंचा तो उन्होंने जौहर कर लिया था।