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Shardiya Navratri 2018: विवाह में कोई भी हो अड़चन, बस करें मां का ये जाप – होगी मनोकामना पूरी!

नवरात्र में मां के हर स्वरूप का है अपना एक खास महत्व…

भोपालOct 10, 2018 / 11:28 am

दीपेश तिवारी

navratra

Shardiya Navratri 2018: विवाह में कोई भी हो अड़चन, बस करें मां का ये जाप – होगी मनोकामना पूरी!

भोपाल। शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर यानि बुधवार से शुरू हो गईं है। ऐसे में मां की कृपा पाने के लिए भक्तों द्वारा मां को खुश करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि इन नवदुर्गा में मां का एक स्वरूप ऐसा भी है जो युवतियों को मनपसंद वर Desirable husband प्रदान करतीं हैं।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार देवी मां के नौ स्वरूपों की नवरात्र में पूजा होती है और मां के हर स्वरूप का अपना एक खास महत्व है। इन्हीं में से नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। जिनके बारे में मान्यता है कि वे मनपसंद वर ही नहीं बल्कि यदि किसी के विवाह में विलंब love marriage हो रहा हो तो उसे भी दूर करती हैं।

वर प्राप्ति के लिए:
माना जाता है कि जिन कन्याओं के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन मां कात्यायनी MAA Katyayani Puja Vidhi की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हें मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है।

इसके तहत पहले एक संकल्प लेना होता है। जिसके बाद युवतियां हर रोज एक माला, 2 माला या 5 माला जाप का संकल्प लेती है। और इसके बाद निश्चित अवधि तक इस मंत्र का माला के हिसाब से जाप how to get Desirable husband with special tips for get married fast करतीं हैं।
विवाह के लिए कात्यायनी मन्त्र :
‘ऊॅं कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।’

वहीं कुछ युवतियां संकल्प तो लेती हैं, लेकिन इसके लिए कोई समय निर्धारित न करते हुए विवाह के बाद अपने पति से इसका परायण करतीं हैं। माना जाता है ऐसी युवतियों को खास वर की प्राप्ति होती है और पति सदैव उनकी बात भी मानते हैं। कुल मिला कर ये कह सकते हैं कि घर में यदि तनाव हो भी जाए तो भी वह कुछ दिनों बाद खत्म हो जाता है, पर रिश्ते पर आंच नहीं आती है।
जानिये कौन हैं मां कात्यायनी…
मान्यता के अनुसार नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था, अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है। इनकी चार भुजाओं में अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है, वहीं इनका वाहन सिंह है।
devi maa ka suarup
ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी। विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है , योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है। ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाना चाहिए। इस बार मां कात्यायनी की पूजा 15 अक्टूबर को की जाएगी।
विवाह के लिए कात्यायनी मन्त्र से ये मनोकामना भी होती है पूरी how to get Desirable husband with special tips for get married fast…

– मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है।
– वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है।

– अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है।


देवी मां का स्वरूप: मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। यह स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। दायीं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बांयी तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।
माता का संबंध- ग्रह और देवी-देवता से…
– महिलाओं के विवाह से सम्बन्ध होने के कारण इनका भी सम्बन्ध बृहस्पति से है

– दाम्पत्य जीवन से सम्बन्ध होने के कारण इनका आंशिक सम्बन्ध शुक्र से भी है।
– शुक्र और बृहस्पति, दोनों दैवीय और तेजस्वी ग्रह हैं , इसलिए माता का तेज भी अद्भुत और सम्पूर्ण है।

– माता का संबंध कृष्ण और उनकी गोपिकाओं से रहा है, और ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।
ऐसे करें मां कात्यायनी की सामान्य पूजा?
– गोधूली वेला के समय पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए।

– इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। इन्हें शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है।
– देवी मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंती हैं।

– इसके बाद मां के समक्ष उनके मन्त्रों का जाप करें।

शीघ्र विवाह के लिए मां कात्यायनी की पूजा का ये भी है तरीका…

– गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें।

– देवी मां के समक्ष दीपक जलायें और उन्हें पीले फूल अर्पित करें।
– इसके बाद 3 गांठ हल्दी की भी चढ़ाएं।

Devi maa ka mantra
– मां कात्यायनी के मन्त्रों का जाप करें।

मन्त्र –

“कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।

नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”
– हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें।

मां कात्यायनी की उपासना से ऐसे बढ़ाएं तेज…

– देवी कात्यायनी को शहद अर्पित करें।

– अगर ये शहद चांदी के या मिटटी के पात्र में अर्पित किया जाय तो ज्यादा उत्तम होगा।
– इससे आपका प्रभाव बढेगा और आकर्षण क्षमता में वृद्धि होगी।

‘आज्ञा’ चक्र और मां कात्यायनी…
मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। उस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।
(आज्ञा चक्र:- हिन्दू परम्परा के अनुसार आज्ञा चक्र छठा मूल चक्र है। जानकारों के अनुसार यह चक्र दोनों भौंहों के बीच स्थित होता है। इस चक्र में 2 पंखुडिय़ों वाले कमल के फूल का अनुभव होता है, जो सुनहरे रंग का होता है।)
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजाएं भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार और कमल का फूल है।
अमोद्य फलदायिनी…
पंडित शर्मा के अनुसार देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं। इनकी पूजा अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है, मां कात्यायनी दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं।

मान्यता के अनुसार देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है। भक्त को माता के पूजन द्वारा सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है।
पौराणिक कथा…
देवी कात्यायनी जी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार देवी कात्यायनी देवताओं, ऋषियों के संकटों को दूर करने लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में उत्पन्न हुईं।

महर्षि कात्यायन ने देवी पालन पोषण किया। जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया, तब उसका विनाश करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज़ और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था और ॠषि कात्यायन ने भगवती जी कि कठिन तपस्या, पूजा की इसी कारण से यह देवी कात्यायनी कहलायीं।
माना जाता है कि महर्षि कात्यायन जी की इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। देवी ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार की तथा अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेने के पश्चात शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिनों तक कात्यायन ॠषि ने इनकी पूजा की, दशमी को देवी ने महिषासुर का वध किया ओर देवों को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त किया।
मां कात्यायनी की पूजा विधि…
नवरात्रों के छठे दिन मां कात्यायनी की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए फिर मां का आशीर्वाद लेना चाहिए और साधना में बैठना चाहिए।

इस प्रकार जो साधक प्रयास करते हैं उन्हें भगवती कात्यायनी सभी प्रकार के भय से मुक्त करती हैं। मां कात्यायनी की भक्ति से धर्म, अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है। देवी की पूजा के पश्चात महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए। श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए।
मंत्र
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनि।।

चढावा- षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनें और प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए।
मनोकामना- मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए।


शादरीय नवरात्र 2018 में तिथि के हिसाब से देवी की पूजा-आराधना…
10 अक्टूबर- नवरात्रि का पहला दिन- घट/ कलश स्थापना – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी पूजा
11 अक्टूबर- नवरात्रि का दूसरा दिन तृतीय – चंद्रघंटा पूजा
12 अक्टूबर- नवरात्रि का तीसरा दिन – कुष्मांडा पूजा
13 अक्टूबर- नवरात्रि का चौथा दिन – स्कंदमाता पूजा
14 अक्टूबर- नवरात्रि का 5वां दिन – सरस्वती पूजा
15 अक्टूबर- नवरात्रि का छठा दिन – कात्यायनी पूजा
16 अक्टूबर- नवरात्रि का सातवां दिन – कालरात्रि, सरस्वती पूजा
17 अक्टूबर- नवरात्रि का आठवां दिन – महागौरी, दुर्गा अष्टमी ,नवमी पूजन
18 अक्टूबर- नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी हवन, नवरात्रि पारण
19 अक्टूबर – दुर्गा विसर्जन, विजयादशमी

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