नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। अभी शहरों में और उद्योगों में काम करने के लिए आए मजदूर कहीं भी खाली पड़ी जमीन पर झुग्गी बनाकर रहना शुरू कर देते हैं। क्योंकि इनकी आमदनी कम होती है। वे किराए के आवास नहीं ले पाते हैं।
औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास भी आवास सुविधा उपलक्ध नहीं होने से झुग्गी बस्तियां बन गई हैं। यहां इनके लिए कोई सुविधाएं उपलक्ध नहीं होने के कारण अवैध कक्जे बढऩे के साथ गंदगी और बीमारियां भी बढ़ती हैं। इसे देखते हुए सीएम ने भी श्रमिकों के निवास की व्यवस्था के निर्देश दिए थे।
नगरीय विकास के अपर आयुक्त परीक्षित झाड़े के अनुसार अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम के तहत दो मॉडल अपनाए जाएंगे। पहले के तहत मौजूदा सरकारी वित्त पोषित खाली घरों को पीपीपी मोड पर या सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा किराए के आवासों में बदला जाएगा।
दूसरे मॉडल के तहत शहरी गरीबों, कामकाजी महिलाओं व उद्योगों, औद्योगिक क्षेत्रों के कर्मचारियों और अन्य पात्र ईडउल्यूएस, एलआइजी परिवारों के लिए निजी या सरकारी संस्थाओं द्वारा किराए के आवास का निर्माण करने के साथ संचालन और रखरखाव भी किया जाएगा। इन आवासों का किराया बहुत कम होगा।
औद्योगिक क्षेत्रों में बनेंगे डोरमेट्री
अफॉर्डेबल रेंटल हाउसिंग के तहत औद्योगिक क्षेत्रों के पास डोरमेट्री आवास बनाए जाएंगे। यह सभी मौसम के अनुकूल होंगे। इसमें 10 वर्ग मीटर तक के कारपेट एरिया में 3-4 बिस्तर वाले हॉल बनाए जाएंगे। इसमें अलग-अलग बिस्तरों के साथ साइड टेबल, सेल्फ, लॉकर रहेंगे। इसके साथ रसोई और शौचालय की कॉमन सुविधा रहेगी।