उत्पादकों का कहना है कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से उत्पादन और आवक दोनों पर असर आएगा। क्वालिटी हलकी हो जाएगी। इस साल जनवरी में गेहूं की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इसे काबू में करने के लिए सरकार ने 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का फैसला किया था। समय से पहले तापमान बढऩे से गेहूं किसान पहले ही चिंता में थे और अब बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी है। इससे गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है।
इस साल जनवरी में गेहूं की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इसे काबू में करने के लिए सरकार ने 50 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का फैसला किया था। समय से पहले तापमान बढऩे से गेहूं किसान पहले ही चिंता में थे और अब बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी है। इससे गेहूं, मक्का, दलहन और सब्जी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है।
– आमरेन्द्र मिश्रा, कृषि एक्सपर्ट
ये बोले फल कारोबारी
थोक फल कारोबारी संतोष गुप्ता ने बताया कि नवरात्रि के दौरान फलों की मांग तो बढ़ी है, लेकिन बारिश से फलों की आवक पर असर हो सकता है। उन्होंने बताया कि सीजनल फल अंगूर, पपीता, केला, पायनापल, संतरा के भावों में तेजी है।
ये कहते हैं कृषक और व्यापारी
पूर्व मंडी अध्यक्ष एवं कृषक भागीरथ पाटीदार कहते हैं कि मौसम में आए बदलाव से सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। जिन क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि हुई है, वहां की फसल आड़ी हो गई है। गेहूं-चना, मसूर, सरसों की क्वालिटी पर भी असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि 25 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो रही है। भोपाल ग्रेन एंड ऑयल मर्चेन्ट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव जैन बताते हैं कि गेहूं की कीमत करीब 30 से 35 फीसदी नीचे आ गई थी। अब बिगड़े मौसम से व्यापारी वर्ग को चिंता में डाल दिया है।
सब्जियों के दाम काबू में
फिलहाल हरी सब्जियों के दाम काबू में है। कारोबारियों का कहना है कि जल्दी मौसम साफ नहीं हुआ तो आगे सब्जियों के दाम पर असर देखने को मिल सकता है। थोक सब्जी कारोबारी हरिओम खटीक का कहना है कि गर्मी के मौसम में हरी सब्जियों की कमी हो जाती है। इस बार मार्च में कई उत्पादक क्षेत्रों में हो रही ओलावृष्टि से हरी सब्जियों की पैदावार घटने के आसार हैं।