आजादी ऐसी
वैसे तो ये शासकीय आवास हैं, लेकिन ये सरकार ने विधानसभा को उपलब्ध कराए हैं। इन्हें अध्यक्षीय पूल के आवास कहा जाता है। इनमें एफ, ई, जी, डी, सी टाइप बंगले भी शामिल हैं। विधायकों को आजादी होती है कि वे चाहें तो विधानसभा सचिवालय से आवास आवंटित करा लें या सरकार से शासकीय आवास आवंटित करवा सकते हैं। सरकार में मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है कि किस विधायक को किस श्रेणी का आवास आवंटित किया जाए।
पहली बार के विधायक भी मंत्री के बंगले पर
इसे विधानसभा और सरकार की मेहरबानी ही कहा जाएगा कि पहली बार के विधायकों को भी मंत्री बंगले आवंटित कर दिए गए। पांच साल से ये इन्हीं बंगलों का सुख भोग रहे हैं। जबकि कई वरिष्ठ विधायक विधायक विश्रामगृह में ही अपना आशियाना बनाए हुए हैं।