जिले में 15 से अधिक गांवों में ओलावृष्टि से 80 फीसदी फसलों को नुकसान हुआ है। किसान अवधेश भदौरिया ने बताया, अब एक मई को बेटी की शादी करना मुश्किल हो गया है।
यहां 20 गांवों में ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हुआ है। 6365 हेक्टेयर में खड़ी फसल प्रभावित हुई। 13770 किसान प्रभावित हैं।90 फीसदी तक फसलों को नुकसान हुआ है। शिवपुरी: धनिया पूरी तरह चौपट
जिले में 10 गांव में ओलावृष्टि से गेहूं व धनिया बर्बाद हो गई। 1230 हेक्टेयर में खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है। 2.80 करोड़ रुपए के मुआवजे का मांगपत्र बनाया गया है।
नौ गांवों में ओलावृष्टि से 80 फीसदी तक फसलों को नुकसान हुआ है। गेहूं की फसल लगभग बर्बाद हो गई है। सरसों को भी काफी नुकसान हुआ है। श्योपुर: 12 गांवों में गेहूं और सरसों की फसलों को नुकसान हुआ है। यहां प्रशासन की 10 टीमों ने सर्वे शुरू कर दिया है। कई किसानों की पूरी फसल खराब हो गई है।
50 गांवों में गेहूं की 20 फीसदी फसलें खराब हो गई हैं। कुछ गांवों में यह आंकड़ा 50 फीसदी तक जा पहुंचा है। यहां सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है।
हरदा: चना को ज्यादा नुकसान
5 गांवों में चने की फसल को नुकसान हुआ है। राजस्व अमले ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है। खेतों में खड़ी गेहूं की फसल भी आड़ी हो गई है।
किसानों की कमर टूटी
रतलाम, मंदसौर और नीमच में ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है। यहां 486 गांवों में फसलों को नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नीमच के 411 गांव का 904 हेक्टेयर रकबा प्रभावित है।
महू: लहसून व गाजर भी प्रभावित
यहां 100 से अधिक गांवों में 15 हजार हेक्टेयर में लगी गाजर, लहसून और गेंहू की फसल तकरीबन बर्बाद हो गई है। बारिश ओर ओलावृष्टि होने से गेहूं का दाना काला पड़ गया है।
झाबुआ: 30 फीसदी किसान परेशान
बारशि और ओले ने यहां के 30 फीसदी किसानों को प्रभावित कर दिया है। प्रभावित 89 गांवों में अभी तक फसलों के नुकसान का सर्वे नहीं हो सका है।
धार: 50 गांव प्रभावित
बारिश और ओलावृष्टि से 50 गांव प्रभावित हुए हैं। हजारों बीघा की फसल नष्ट हो गई है। प्रशासन नुकसानी का सर्वे करा रहा है।
फैक्ट फाइल-
– 51 तहसीलों के 520 ग्रामों में फसल प्रभावित होने की प्रारंभिक सूचना
– 38900 कृषकों की 33 हजार 758 हेक्टेयर फसल प्रभावित
– 12 जिलों में आकाशीय बिजली गिरने से 22 लोगों की मृत्यु
16 एकड़ खेती ठेका पर ली थी, खाद-बीज के लिए रिश्तेदारों से पैसे लिए। फसल अभी तक बढिय़ा थी। अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन बारिश और ओलावृष्टि ने सपनों पर पानी फेर दिया। 5 एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई है। जमीन मालिक को पहले ही पैसा दे चुके हैं, लेकिन रिश्तेदारों का कर्ज बचा है। अब चिंता है इसे कैसे चुकाएंगे। यह दर्द बूढ़ाखेड़ा निवासी जितेंद्र ठाकुर का है, जो सोमवार को बर्बाद हुई फसल को देखते हुए बयां कर रहे थे।
हालांकि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को ओलावृष्टि से फसलों के नुकसान की समीक्षा की। शिवराज ने अफसरों से साफ कहा कि 6 से 8 मार्च तक बारिश से नुकसान का पहले चरण का सर्वे पूरा हो चुका है। 16 से 19 मार्च के बीच दूसरे चरण का सर्वे शुरू हो चुका है। अब 25 मार्च तक सर्वे पूरा हो जाएगा। इस सर्वे में कोई कोताही न हो।
शिवराज ने कहा, प्रदेश सरकार किसानों के साथ खड़ी है। सर्वे पूरी ईमानदारी से किया जाए। सर्वे होने के बाद सूची को पंचायत के दफ्तर में लगाया जाए। किसानों की आपत्ति के बाद उसका निराकरण भी किया जाए। उन्होंने कहा, पशु हानि की भी सूचना आई है। पशु हानि के भी नुकसान की भरपाई मध्यप्रदेश सरकार करेगी।
– इसका विशेष ध्यान रखा जाए कि किसी भी किसान का खेत सर्वे से न छूटे।
– किसानों को राहत राशि के साथ फसल बीमा योजना का लाभ भी मिलेगा।
– क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के आधार पर फसल बीमा योजना का लाभ मिले।
– पशुहानि के लिए बढ़ी हुई राशि के अनुरूप राहत प्रदान की जाएगी।