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भोपाल

IAS-IPS के लिए स्पेशली बना था ये कॉलेज, 20 साल में रिजल्ट रहा शून्य

अखिल भारतीय सेवाओं, राज्य सेवाओं में विद्यार्थियों को सफल बनाने के लिए राज्यस्तरीय प्रशिक्षण संस्थान के रूप में कार्य करना है। 

भोपालSep 12, 2016 / 11:24 am

Krishna singh

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भोपाल सपना था कि भोपाल से भी एक से एक उम्दा आईएएस-आईपीएस अधिकारी निकलें। भोपाल की चमक केंद्र तक टिमटिमाए। इसी आस में एक्सीलेंस कॉलेज की बुनियाद रखी गई। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी तैयार करना तो दूर, ये कॉलेज अब महज स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री बांटने का जरिया बनकर रह गया है।

वर्ष 1995-96 में खुले इस संस्थान से अब तक 19 बैच निकल चुके हैं। लेकिन आज ऐसा कोई रिकॉर्ड संस्थान के पास नहीं है, जिससे पता चले कि यहां से कितने छात्रों का चयन अखिल भारतीय और राज्यकीय सेवा में हुआ। 




कॉलेज खोलने के पीछे शासन की मंशा थी कि यह संस्थान प्रदेश में उच्च शिक्षा का एक एेसा केंद्र बन सके, जहां विद्यार्थियों को उत्कृष्ट स्तर की उच्च शिक्षा मिले। आईएएस, आईपीएस तैयार हों। लेकिन वर्तमान में विद्यार्थी निजी कंपनियों में नौकरी तक सीमित होकर रह गए हैं। जबकि उद्देश्य अखिल भारतीय सेवाओं, राज्य सेवाओं में विद्यार्थियों को सफल बनाने के लिए राज्यस्तरीय प्रशिक्षण संस्थान के रूप में कार्य करना है।

वहीं विद्यार्थियों के एडमिशन अखिल भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों, विवि में हो सकें, यह जिम्मेदारी भी उठाना है। लेकिन, प्रशिक्षण की सुविधा विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रही है।




क्या से क्या हो गया…
यह संस्थान प्रदेश की उच्च शिक्षा के लिए राज्य स्तरीय विशिष्ट संस्था है। यह संस्थान प्रबंध, वित्त, और अकादमिक मामलों में पूरी तरह से स्वशासी है। प्रतिभाशाली छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराना है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता के संदर्भ में उत्प्रेरक की भूमिका का निर्वाह।


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शासन का हस्तक्षेप
शासन का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है। संस्थान अपनी ऑटोनॉमी का सही दिशा में उपयोग नहीं कर पा रहा है।

अतिथियों से परहेज
कक्षाएं समय पर शुरू नहीं हो पातीं। अतिथि विद्वानों की नियुक्ति की अनुमति नहीं मिली। संस्थान स्वयं निर्णय लेने में असफल रहा।



इनका कहना है…
एक शासन का हस्तक्षेप बढ़ रहा है, जिससे संस्थान अपनी ऑटोनॉमी का उपयोग नहीं कर पा रही है। यहां किसी का भी तबादला कर दिया जाता है। एेसे लोगों की कमी है, जो उद्देश्य पूरा करा सकें।
-डॉ. केएम जैन, पूर्व संचालक

इसके मूल संकल्प पत्र को शासन ने बदल दिया। इसमें पहले सात वर्षीय योजना थी। जब विद्यार्थी एडमिशन लेता था तो वह सात वर्ष तक संस्थान से जुड़ा रहता। बाद में इसे बदल दिया गया। इसे तीन साल कर दिया गया। यहां शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं होते थे, उनका चयन किया जाता था। विद्यार्थियों का चयन भी होता था। लेकिन अब एेसा नहीं होता। यह भोपाल के लोगों के लिए आराम करने का स्थान बनकर रह गया है।
-प्रो. विजय बहादुर सिंह, पूर्व मेंबर जनरल बॉडी एक्सीलेंस


सिविल सेवा के लिए विद्यार्थियों को तैयार करना संस्थान का उद्देश्य है। लेकिन हमारे पास कोई डाटा उपलब्ध नहीं है, जिससे यह बता सकें कि कितने विद्यार्थियों का इसमें चयन हुआ है।
-डॉ. एमएल नाथ, डायरेक्टर

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