विजयादशमी को लेकर कई मान्यताएं, पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध भगवान राम द्वारा रावण का वध और मां दुर्गा द्वारा महिषासुर नामक राक्षस का अंत शामिल है। दोनों की विजय की खुशी में देशभर में नहीं बल्कि दुनिया भर में यह पर्व मनाया जाता है। दोनों की पौराणिक कथाओं के कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। शहरों के चौक-चौराहों पर रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का भी दहन किया जाता है।
दशहरे का महत्व
दशहरे की तिथिपर शाम के समय को बेहद शुभ माना जाता है और इस काल को विजय काल के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषचार्यों के अनुसार, इस मुहूर्त में जो भी काम करेंगे, उसमें विजय ही प्राप्त होगी, लेकिन शर्त रहती है कि आपको सच्चे मन से उस काम को अंजाम देना होगा। आप इस दिन कोई भी नया काम या निवेश आदि शुभ चीजें कर सकते हैं। इस दिन व्यापार, बीज बोना, सगाई करना और गाड़ी की खरीदारी आदि को शुभ माना जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार, दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है।
रावण दहन के बाद करें यह काम
इस बार रावण दहन करने का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र के अंतर्गत ही किया जाता है। अश्विन माह की दशमी को तारा उदय होने से सर्व कार्य सिद्धि दायक योग बनता है। रावण दहन के बाद अस्थियों को घर लाना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और घर में समृद्धि का वास होता है।
देवी जया और विजया का करें पूजन
दशहरे के पर्व से वर्षा ऋतु की समाप्ति और शरद ऋतु का आरंभ हो जाता है। इस दिन अपराजिता देवी के साथ देवी जया और विजया की भी पूजा की जाती है। जो जातक हर साल दशहरे पर जया और विजया की पूजा करते हैं, उनकी शत्रु पर हमेशा विजय होती है और कभी असफलता का मुख नहीं देखना पड़ता। ये देवी पार्वती की दो सहचरियां हैं, इनको पराजय को हरने वाली और विजय प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। मान्यता है कि भगवान राम नौ दिन तक मां दुर्गा की उपासना की और फिर जया-विजया देवियों का पूजन किया था। इसके बाद ही राम रावण से युद्ध करने निकले थे।
शमी वृक्ष की करें पूजा
दशहरे की शाम को शमी के वृक्ष का पूजन करने का भी विधान है। दशहरे के दिन शमी पेड़ की पूजा करने से मंगल होता है और ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिल जाती है। अगर शमी का पेड़ आपके घर पर नहीं है, तो कहीं दूसरी जगह जाकर भी आप पूजन कर सकते हैं। नवरात्रि में शमी के पत्तों से मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही महादेव पर भी शमी के पत्ते चढ़ाए जाते हैं। वहीं शमी के पेड़ को न्याय के देवता शनि का माना जाता है।