शहर में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। 2016 में डेंगू के 950 मामले सामने आए थे। बीते साल 1054 मरीज डेंगू से पीडि़त हुए। इस साल 69 मरीज सामने आने के बाद आशंका है कि नवंबर तक ये आंकड़ा और बढ़ेगा।
डेंगू से ज्यादा जरूरी माना दस्तक अभियान
स्वास्थ्य विभाग को डेंगू और मलेरिया से ज्यादा दस्तक अभियान की चिंता है। यही कारण है कि लार्वा सर्वे करने वाले 100 से ज्यादा कर्मचारियों को दस्तक अभियान में लगाया गया है। नतीजतन इस बार लार्वा सर्वे नहीं हो पा रहा। बीते साल 135 में से 100 टीमें आशा कार्यकर्ताओं और गैस राहत कर्मचारियों की थीं।
मलेरिया विभाग में सिर्फ 75 कर्मचारी हैं, जो फील्ड वर्कर के रूप में काम कर रहे हैं। इनमें से भी आठ से 10 कर्मचारी अवकाश या अन्य कायों में व्यस्त रहते हैं। वहीं विभाग ने शहर को ( 285 वर्ग किमी) को आठ जोन में बांट कर लार्वा सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में एक जोन (35 वर्ग किमी) में सिर्फ आठ कर्मचारी ही लार्वा सर्वे कर रहे हैं
डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है, दिन में सोएं तो मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें। फुल स्लीव कपड़े पहनें।
घर के आसपास या घर के अंदर पानी जमा न होने दें। कूलर, गमले, टायर या अन्य जगह जमे पानी को तुरंत निकालें।
कूलर में यदि पानी है तो इसमें खाने का तेल डालें जिससे कि मच्छर पनप ना पाएं।
पानी की टंकियों को सही तरीके से ढंक कर रखें, खाली करना संभव न हो तो एक कटोरी खाने का तेल डाल दें।
वायरल बुखार में नजदीकी डॉक्टर से सहायता लें और खून में प्लेटलेट्स की जांच करवा लें।
रोगी को लगातार पानी देते रहें, नहीं तो शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
खुद से कोई दवा न लें। एस्प्रीन, डिस्प्रीन या अन्य दवाएं ना लें इससे प्लेटलेट्स कम होती हैं। बुखार आने पर साधारण पेरासिटामोल ले सकते हैं।
अखिलेश दुबे, जिला मलेरिया अधिकारी