भोपाल। मध्यप्रदेश में वन्य प्राणियों के लिए यह खबर बेहद दुखद है। राजधानी के पास के जंगलों में एक ही दिन में एक बाघिन और एक तेंदुए की मौत हो गई। सीहोर जिले के मिडघाट क्षेत्र में एक बाघिन ट्रेन से कट गई, जबकि रायसेन के जंगल में करंट लगने से तेंदुए की मौत हो गई।
सीहोर जिले में ट्रेन की चपेट में आने से एक बाघिन की मौत हो गई। बाघ के मारे जाने की एक सप्ताह में ही यह दूसरी घटना हो गई। पिछले हफ्ते ही एक बाघ शावक सड़क पार करते समय एक अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया था। बाद में उसका शव पड़ा मिला था।
(बुदनी के जंगल से गुजरी मिडघाट सेक्शन की रेलवे लाइन पर मिली बाघिन की लाश।)
सूत्र बताते हैं कि बुधनी के जंगलों में स्थित मिडघाट पर इस बाघिन का शव बुधवार रात को पड़ा मिला था। यह बुधवार देर रात को इटारसी से भोपाल जा रही इंटरसिटी एक्सप्रेस की चपेट में आ गई थी। जब वन विभाग ने रेल विभाग को एक मेमो भेजा तो इस घटना का खुलासा हो गया। मृत बाघिन की उम्र लगभग 3 साल बताई गई है। गुरुवार सुबह शव रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला। बाघिन का एक पैर ट्रेन की चपेट में आ गया था। बाघिन का पोस्टमार्टम के बाद इसका खुलासा हुआ। गौरतलब है कि यह पूरा इलाका बुदनी वन परिक्षेत्र में आता है। और यही इलाका रातापानी सेंचुरी से जुड़ा हुआ भी है। इसलिए बड़ी संख्या में बाघ, भालू और तेंदुओं का यहां मूवमेंट रहता है।
करेंट से तेंदुए की मौत, खेत मालिक पर प्रकरण
इधर रायसेन जिले के टिकोदा बीट के पास एक खेत में मादा तेंदुए का शव मिला था। यहां स्थित नरवर गांव के एक खेत में बिजली के तारों से करंट लगने से तेंदुए की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। ग्रामीणों ने फारेस्ट विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी।
(रायसेन जिले के खेत में मिली मादा तेंदुआ की लाश, इसकी मौत करंट लगने से हो गई है।)
बताया जाता है कि खेत में बिजली के तार लगे हुए थे, जिसकी चपेट में यह मादा तेंदुआ आ गई। वन विभाग ने दो खेत मालिकों और मजदूर पर मामला दर्ज किया है।
बैतूल में तेंदुए ने किया शिकार
इधर बैतूल में भी तेंदुए के शिकार का मामला प्रकाश में आया है। यहां एक तेंदुए ने गाय का शिकार किया है। स्थानीय लोग शिकार के बाद दहशत में हैं। वन विभाग ने भी सावधानी रखने की सलाह दी है।
अब तक 32 बाघों की मौत
2016 में ही 32 बाघों की मौत हो गई। यह आंकड़ा देश में सबसे अधिक है। इससे पहले 2014 में वन विभाग के मुखिया ने एनटीसीए को पत्र लिखकर शहडोल,कटनी और उमरिया में ट्रेनों की गति धीमी करने का अनुरोध किया था। जिससे वन्य प्राणियों की सुरक्षा हो सके। यह भी खास बात है कि इसी साल बरखेड़ा से बुदनी सेक्शन के बीच 15 किलोमीटर के दायरे में पांच-पांच फीट फेंसिंग लगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह अब तक अधर में है।
वन विभाग चाहता है ट्रेनों की गति धीमी हो
तत्कालीन प्रधान मुख्य वन सरंक्षक वन्य प्राणी नरेंद्र कुमार ने NTCA को जून, 2014 में पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि शहडोल, बिलासपुर, कटनी और उमरिया में रेलवे से चर्चा करके रेलों की गति धीमा किया जाए, ताकि वन्य जीवों की सुरक्षा हो सके। उल्लेखनीय है कि फरवरी, 2016 में बरखेड़ा-बुदनी सेक्शन में 15 किमी वाले हिस्से में पांच-पांच फीट गार्ड फेंसिंग करने की योजना बनाई गई थी।
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