मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने सभी जिलों में साइबर तहसील खोलने का फैसला लिया था। शुरुआत में यह 12 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई थी। इन तहसीलों के खुलने से अब राजस्व विभाग के कई कठिन काम आसान हो जाएंगे। विशेषकर टर्मिनस सीमांकन और नामांकन भी बेहद आसानी से होगा। जो व्यक्ति कृषि भूमि खरीदकर रजिस्ट्री करवाएगा, उसके बाद 15 दिनों में नामांतरम भी अपने-आप हो जाएगा। इसके लिए अलग से चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। शुक्रवार को उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस योजना को पूरे प्रदेश में लांच कर देंगे।
बदल जाएगी तस्वीर
साइबर तहसील प्रदेश के सभी जिलों में लागू होने के बाद भोपाल स्थित राजस्व आयुक्त कार्यालय में भी बदलाव हो जाएगा। यहां स्थापित साइबर तहसील में 15 तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों की जरूरत पड़ेगी। पहली बार 7 तहसीलदारों को संलग्न कर साइबर तहसील व्यवस्था शुरू की गई है। शुरुआत में 12 जिलों में इसे लागू किया गया था। प्रदेश में इस नई व्यवस्था के लिए राजस्व विभाग ने मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता, 1959 में संशोधन कर धारा 13 क में साइबर तहसील स्थापना के प्रावधान किए हैं।
इन जिलों में हो चुकी है लागू
सीहोर, दतिया, इंदौर, सागर, डिंडौरी, हरदा, ग्वालियर, आगर मालवा, श्योपुर, बैतूल, विदिशा और उमरिया में यह परियोजना सबसे पहले लागू की गई थी। इन साइबर तहसीलों के लिए चार साफ्टवेयर को इंटीग्रेड किया जा रहा है। इनके इंटीग्रेड होने के बाद नई व्यवस्था पूरी तरह से काम करने लगेगी। साइबर तहसील में पंजीयन से लेकर नामांतरम तक की प्रक्रिया लागू है। इसे संपदा पोर्टल, भूलेख पोर्टल, स्मार्ट एप्लीकेशन फ़ॉर रेवेन्यू एप्लीकेशन (सारा) पोर्टल और रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) पोर्टल से भी जोड़ दिया गया है।
यह होगा फायदा
इस व्यवस्था से किसी भी जिले में बिना आवेदन दिए रजिस्ट्री होते ही 15 दिन में नामांतरण हो जाएगा।
खसरा-नक्शा में भी तत्काल सुधार हो जाया करेगा।
अविवादित नामांतरण और बंटवारे के प्रकरणों में भी यह योजना लागू होगी।
इससे आनलाइन, पेपरलेस और फेसलेस प्रक्रिया से नामांतरण होने से सुशासन आएगा।