पेरेंट्स का आरोप कोई मदद नहीं मिली
पेरेंट्स मदद के लिए चीखते रहे, लेकिन तेज म्यूजिक में आवाज दबकर रह गई। जैसे तैसे बच्चे को गोद में लेकर मेन गेट तक पहुंचे। परिजन बच्चे को सीहोर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, यहां डॉटरों ने मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने सीहोर कोतवाली में केस दर्ज कराया है। पिता गौरव राजपूत का आरोप है कि घटना के बाद क्रिसेंट वाटर पार्क में कोई मदद नहीं मिली। स्वीमिंग पूल के पास कोई तैराक या मददगार मौजूद नहीं था। उधर पार्क प्रबंधक महिपाल सिंह का कहना है, हादसे में हमारी गलती नहीं है। टीआइ गिरीश दुबे ने बताया, लापरवाही और हादसे के एंगल पर जांच कर रहे हैं।
पिता का आरोप, प्रबंधन ने फर्स्ट एड किट तक नहीं दी
गौरव राजपूत पेपर ट्रेडिंग का काम करते हैं। वे 9 साल के बेटे आरुष, दो साल के आरव और भाभी के साथ पार्क गए। आरुष तीसरी का छात्र था। गौरव ने कहा, पार्क में मदद मांगी लेकिन पार्क प्रबंधन का कोई भी व्यक्ति नहीं आया। फर्स्ट एड किट भी नहीं मिली। गार्ड भी ट्रेंड नहीं पार्क में नियमों को तोड़कर आसपास के गांवों के बेरोजगारों को गार्ड बनाया है। वे ट्रेंड नहीं हैं। गार्ड ऊंची लहर वाले स्वीमिंग पूल के पास रहते हैं। वे स्लाइड वाले प्वॉइंट पर लोगों को ट्यूब देते हैं। बच्चों पर नजर नहीं रखते।
बेटा जिंदा रहे, इसलिए आंखें कीं दान
बेटे को खोने के गम में डूबे पेरेंट्स ने समाज के लिए अपनी बड़ी जिम्मेदारी भी निभाई। उन्होंने आरुष की उपस्थिति महसूस करने के लिए नेत्र दान कर दिए।