हबीबगंज गणेश मंदिर, बोर्ड ऑफिस से ठीक पहले प्रगति पेट्रोल पंप चौराहा, शीतलदास की बगिया और चेतक ब्रिज से एमपी नगर जोन वन-टू को जाने वाले रास्ते वो स्पॉट हैं जो जाम का पाइंट बन चुके हैं। ट्रैफिक व्यवस्था के जानकारों का कहना है कि नए ब्रिज और रेलवे ओवर ब्रिज बनने के बाद इन रास्तों पर पहले से ज्यादा वाहनों का दबाव है, जबकि इनसे जुड़े पुराने रास्तों को चौड़ा नहीं किया गया है। शहर में कई स्थानों पर संकरे रास्तों से होकर भारी वाहनों का दबाव गुजरता है । मैनिट के ट्रैफिक एक्सपर्ट सिद्धार्थ रोकड़े और पूर्व एएसपी समीर यादव ने इस तरह के बॉटलनेक पर संयुक्त चर्चा करने के बाद ये पाइंट चिह्नित किए थे। यादव के तबादले के बाद इन पाइंट पर काम करने की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
दोपहर 12 बजे-गणेश मंदिर प्रगति पेट्रोल पंप- हबीबगंज से बोर्ड ऑफिस जाने वाले मार्ग पर पहले आरओबी नहीं था। यहां नाका क्रॉस कर गणेश मंदिर से होकर वाहन बोर्ड ऑफिस की तरफ जाते थे। दोपहर 12 बजे यहां सिग्नल पर चार मिनी बसें खड़ी थी जो ग्रीन सिग्नल होने पर थोड़ा आगे बढ़कर गणेश मंदिर पर ठहर गईं। इसकी वजह से पीछे चल रहे सभी वाहन बीच चौराहे पर रुक गए जिसके चलते अरेरा कॉलोनी की तरफ से आने वाले वाहन जाम में फंस गए।
शाम 5 बजे- एमपी नगर-
ज्योति चौराहा- चेतक ब्रिज की चौड़ाई को 12 से बढ़ाकर अब 20 मीटर कर दिया गया है। वाहन ज्योति चौराहे पर आकर एमपी नगर जोन वन-टू की तरफ मुड़ते हैं। जोन वन के लिए गागर होटल के सामने सड़क पर खड़े वाहन बॉटल नेक बनाते हैं। इसी प्रकार जोन टू जाने वाला रास्ता आगे तीन दिशाओं में कटकर संकरा हो जाता है। बुधवार शाम 5 बजे भी यहां ऐसा ही नजारा था। मनोहर रेस्टॉरेंट की ओर मुडऩे वाले वाहन चौकी के पास सड़क पर पार्क वाहनों की वजह से आगे नहीं बढ़ रहे थे।
रात 8 बजे- राजभोज केबल स्टे ब्रिज- वीआईपी रोड और पुराने की तरफ जाने वाले ट्रैफिक को अब केबल स्टे ब्रिज से सहूलियत होती है। मोती मस्जिद और वीआईपी रोड से पॉलीटेक्निक चौराहे की ओर आने वाला यातायात कमलापति पार्क के सामने से गुजरता है। ये ट्रैफिक शीतलदास की बगिया मोड पर आकर जाम होता है। रात 8 बजे जब यहां वाहनों की लंबी कतार लगी हुई थी।
शहर के नए फ्लायओवर और आरओबी से हर तरफ पीसीयू बढ़ गया है जबकि पुराने रास्ते संकरे हैं। निर्माण एजेंसियों को बॉटलनेक की जानकारियां देकर इनमें सुधार की जरूरत से अवगत कराया है लेकिन कहीं काम नहीं हुआ।
सिद्धार्थ रोकड़े, ट्रैफिक एक्सपर्ट , मैनिट