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भोपाल

बाढ़ से ऐसा नुकसान भी जो नियमों में नहीं लिखा, लेकिन उसमें मदद जरूरी: शिवराज

ग्वालियर-चंबल में बाढ़ के कहर का आकलन करने आए केंद्रीय दल के साथ बैठक

भोपालAug 18, 2021 / 01:21 am

manish kushwah

बाढ़ से ऐसा नुकसान भी जो नियमों में नहीं लिखा, लेकिन उसमें मदद जरूरी: शिवराज

बाढ़ से ऐसा नुकसान भी जो नियमों में नहीं लिखा, लेकिन उसमें मदद जरूरी: शिवराज

भोपाल. ग्वालियर-चंबल में बाढ़ के कहर का आकलन करने आए केंद्रीय दल ने मंगलवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ बैठक की। प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद दल ने स्थिति सीएम के सामने रखी। कहा कि वह दिल्ली में रिपोर्ट सौंप देगा। मुख्यमंत्री ने नुकसान पर राहत राशि का फाइनल प्रस्ताव जल्द देने की बात कही। उन्होंने कहा बाढ़ से ऐसा नुकसान भी हुआ होगा जो नियमों में नहीं लिखा हो, लेकिन उसमें भी मदद जरूरी है। इसलिए मानवीय पहलू को ध्यान में रखकर केंद्र में प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।
ये बैठक सीएम हाउस में देर शाम हुई। इसमें राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और सीएम के पीएस व राजस्व पीएस मनीष रस्तोगी मौजूद रहे। मंत्री राजपूत ने नुकसान के लिए जल्द फील्ड सर्वे करने की बात कही। दल ने बताया कि दो टीम में बंटकर सदस्यों ने तीन-तीन जिलों में जायजा लिया। पाया कि बाढ़ से क्षति काफी हुई है। शिवराज ने कहा कि ऐसी फसल का भी काफी नुकसान हुआ है, जो भंडारण कर ली गई थी। ऐसी फसल पशुओं के खाने लायक भी नहीं रही। कुछ दुकानों की भी ऐसी क्षति हुई है, जो राजस्व पुस्तक परिपत्र की परिधि में नहीं है, लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से मदद दी जाना चाहिए। नदियों-नालों के किनारे रहने वालों के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं।
केंद्रीय दल ने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुनील वर्णवाल की अध्यक्षता में दो दिन तक दौरा किया है। दल ने क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया, सडक़, बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूल-आंगनबाड़ी, फसलें, मकान और अन्य स्थिति को देखा। इसके बाद दल ने कहा है कि क्षतिग्रस्त मकानों को मॉडल टाउन के रूप में विकसित करें। दल ने प्रभावित परिवारों से भी चर्चा कर हाल जाने।
श्योपुर में एक तिहाई से ज्यादा क्षेत्र प्रभावित। यहां फोकस करके काम हो रहा।
राहत के नियमों में संशोधन के प्रयास भी किए, ताकि ज्यादा मदद दी जा सके।
आवास योजनाओं में मप्र के कोटे के आवास बढ़ाने के प्रयास किए।
प्रभावित जिलों में जनहानि नहीं होने दी गई। बचाव कार्य तेजी से हुआ।
श्योपुर में 48 घंटे में 800 मिलीमीटर वर्षा की कल्पना किसी ने नहीं की थी।
32 हजार से अधिक लोगों को ऊंचे स्थानों पर लाकर ठहराया गया।
टापूओं और पेड़्ों पर फंसे करीब 09 हजार लोगों को निकाला गया।
टास्क फोर्स का गठन कर 12 मंत्रियों को विशेष दायित्व सौंपे।

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