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भोपाल

भोज विवि ने एजेंसी से नियुक्त कर्मचारी को सीधे दे दिया वेतन

श्रम विभाग ने कहा था कर्मचारी घोषित करें

भोपालFeb 01, 2018 / 07:37 am

दीपेश तिवारी

bhoj

bhoj university in bhopal

भोपाल। भोज विवि में एक निजी एजेंसी से नियुक्त कर्मचरियों को विवि प्रशासन ने सीधे भुगतान कर दिया। श्रम विभाग ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिए थे कि यदि ठेकेदार को भुगतान नहीं करना होता तो कर्मचारियों को विश्वविद्यालय का कर्मचारी घोषित कर वेतन दिया जाए। इसके लिए सादे कागज पर शपथ-पत्र भरवा लिए कि वे भविष्य में कर्मचारी होने की मांग नहीं करेंगे। श्रम विभाग को कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने की शिकायत मिली थी। निर्देश हैं कि बिना शासन की मंजूरी के विवि में कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते। वहीं, श्रम विभाग ने निर्देश दिए थे कि कर्मचारियों को विवि का कर्मचारी घोषित कर वेतन दिया जाए।

 

गड़बड़ी छिपाने की तैयारी
दो महीने का भुगतान करने के बाद तीन महीने का नया भुगतान फिर से अटका हुआ है। एेसे में विवि ठेकेदार से इन कर्मचारियों को वेतन देने के बार-बार निर्देश दे रहा है, लेकिन ठेकेदार मानने को तैयार नहीं है। विवि इन कर्मचारियों से लगातार काम ले रहा है।

किसी को भी विवि का कर्मचारी घोषित नहीं किया है। आउट सोर्स एजेंसी द्वारा कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा था, इसलिए मानवीय दृष्टि के आधार पर वेतन जारी किया है।
-सरिता चौहान, प्रभारी रजिस्ट्रार भोज मुक्त विवि

पहले से विवादों में रहा है भोज विवि

भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय के आवासीय परिसर स्थित मंदिर में रोजाना बजने वाली घंटी और लाउडस्पीकर पर रजिस्ट्रार सरिता चौहान ने रोक लगाने के निर्देश दिए थे। इससे नाराज कर्मचारियों ने कुलपति प्रो. रविंद्र आर. कान्हेरे से शिकायत कर दी। कुलपति प्रो. कान्हेरे ने कहा है कि मंदिर है, तो घंटी तो बजेगी ही।

भोज विवि परिसर में हनुमान , शिवशंकर और मां दुर्गा का मंदिर है। मंदिर में कर्मचारियों और उनके परिजनों का आना-जाना लगा रहता है। साथ ही विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जिनमें लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी किया जाता है। कर्मचारियों का कहना है कि इस तरह रोक लगाना आपत्तिजनक है, इसलिए कुलपति को इसकी सूचना दे दी गई है। उन्होंने बताया कि अभी इसके मौखिक निर्देश मिले हैं यदि लिखित में कोई आदेश जारी होता है तो इसका सख्त विरोध दर्ज कराया जाएगा। विवि परिसर में यह परंपरा तत्कालीन रजिस्ट्रार बी. भारती के समय से शुरू हुई थी।

कर्मचारी अपनी समस्या लेकर आए थे, जिसका निराकरण कर दिया गया है। यह बहुत बड़ी समस्या नहीं थी। मंदिर है तो उसमें घंटी तो बजेगी ही। इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। लेकिन लाउड स्पीकर पर रोक रहेगी। जरुरत पड़ती है तो प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।

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