ऐसा है सैटेलाइट विजन
सैटेलाइट की रिमोट सेंसिंग तकनीक के जरिए नदियों के प्रारंभ से अंतिम क्षेत्र यानी दूसरी बड़ी नदी में मिलने तक का डिजिटल नक्श तैयार होगा। इसमें नदी व उसके कैचमेंट एरिया में कहां जंगल, कहां जमीन, अतिक्रमण, सीवेज या अन्य बाधा है उसका माइक्रो प्लान रहेगा। इसके हिसाब से दो स्तर पर काम होगा। पहला स्तर कैचमेंट एरिया में भूजल स्तर बढ़ाने के इंतजाम करना। इसमें अधिकतर क्षेत्र जंगल का है। दूसरा, पानी के बहाव के लिए नदी व कैचमेंट एरिया की बाधा दूर करना। सैटेलाइट इमेज से भूजल स्तर बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
साइंटिफिक तरीका यूं अपनाएंगे
अभी यह पाया गया है कि जो छोटी नदियां पहले फरवरी-मार्च तक बहती थी, वो अब अक्टूबर-नवंबर तक ही सूख जाती हैं। ऐसी सहायक व छोटी नदियों को चिन्हित किया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि नदी के कैचमेंट एरिया का भूजल स्तर नदी के तल से नीचे चला जाता है, तो नदी सूख जाती है। इसलिए नदी के कैचमेंट एरिया के भूजल स्तर को नदी के तल से ऊपर लाने के इंतजाम इस प्लान में किए जाएंगे।
लक्ष्य ऐसा : दो साल 40 नदी, फिर 3 साल 102 नदी
सरकार ने 40 नदी के लिए पहले चरण में दो साल का लक्ष्य रखा है। इसके बाद 102 नदियां और ली जाएंगी। उस प्रोग्राम की अवधि तीन साल की रहेगी। इस तरह कमलनाथ सरकार के पांच साल में इन नदियों को पुनर्जीवित करने मिशन मोड पर काम होगा। सरकार ने यह प्रोग्राम फरवरी में बना लिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण अटका। अब चुनाव खत्म होते ही इस पर काम शुरू कर दिया है।
छिंदवाड़ा में तेजी से काम-
सीएम कमलनाथ का गृह जिला होने के कारण छिंदवाड़ा में बड़ी तेजी से इस पर काम शुरू हो गया है। इसमें बड़ी नदियों की बजाए 40 से 100 किमी बहने वाली सहायक नदियों को लिया गया है।
फैक्ट फाइल-
– 40 नदी अभी प्रोग्राम के तहत ली गई
– 102 नदी दूसरे चरण में ली जाएंगी
– 40 से 100 किमी बहने वाली नदियां ली पहले चरण में
– 62 नदी हर साल अक्टूबर तक सूख जाती
– 98 नदियां हर साल दिसंबर-जनवरी में सूख जाती
– 1500 करोड़ रखे पहले चरण के लिए
– 36 जिलों में काम शुरू होगा, 6 जिलो में शुरू भी किया
इनका कहना- नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रोग्राम सीएम की प्राथमिकता में है, उनके विजन के हिसाब से काम हो रहा है। इसमें सैटेलाइट से इमेज लेकर प्लान बनेगा। यह बड़ा मिशन है। – गौरी सिंह, अपर मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, मप्र