धार्मिक नगरी उज्जैन की पहचान साधु संतों, महामंडलेश्वरों से है। साधु संतों के उज्जैन आगमन पर ठहरने, कथा, प्रवचन व अन्य धार्मिक आयोजन करने के लिए यहां सालभर भूमि भूखंड की आवश्यकता पड़ती है। राज्य सरकार ने हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन में भी अखाड़ों, साधु-संत, महामंडलेश्वरों को स्थायी आश्रम बनाने की सुविधा देने की बात कही है। विभिन्न समाजों को धर्मशाला बनाने और स्वास्थ्य शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी जमीन उपलब्ध कराई जा सकती है। ऐसे में सिंहस्थ क्षेत्र, नए सुविधायुक्त आधुनिक शहर के रूप में नजर आएगा।
- वर्तमान में सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए आरक्षित भूमि पर स्थायी निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। यहां अधिकांश जमीन का उपयोग खेती के लिए होता है।
- योजना अंतर्गत साधु-संत, महामंडलेश्वर जमीन खरीद कर आश्रम बना सकेंगे।
- किसान भी यूडीए से जुडक़र साधु-संत, महामंडलेश्वर को भूमि दे सकेंगे।
- तय सीमा में साधु-संत, महामंडेलश्वर को स्थायी पक्के निर्माण की अनुमति दी जाएगी।
- यूडीए के माध्यम से यहां बिजली, पानी, सड़क जैसी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे।
- हरिद्वार की तरह उज्जैन में संतों के पक्के आश्रम बनेंगे।
- सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्थायी सुविधाएं उपल्ब्ध होंगी।
- धार्मिक आयोजनों के लिए सुविधा मिलेगी।
- मेला क्षेत्र में अतिक्रमण की समस्या कम होगी।
- किसान व अन्य भूमिस्वामियों को अपनी जमीन के लिए नया विकल्प मिलेगा।