कैसे मार्बल उद्योग को लाभ मिलेगा। बस सरकार केवल घोषणा कर भूल गई। आखिर जिले के मार्बल उद्योग को कब पंख लगेंगे। इसको लेकर अब भी संशय बरकरार है। जानकारी के मुताबिक बीते साल 60 लाख टन से अधिक मार्बल और ग्रेनाइट का उत्पादन हुआ। जिले में एक हजार से अधिक खदान होने के कारण प्रतिदिन हजारों टन मार्बल, ग्रेनाइट और फेल्सपार निकाला जाता है।
यहां पर लगे गैंगसा और मार्बल कटर से इन्हें तैयार कर बिक्री की जाती है। लेकिन सरकारी नियमों के कारण के ये उद्योग अब धीरे-धीरे आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ रहा है। राजसमंद से निकलने वाले मार्बल-ग्रेनाइट से हजारों लोग जुड़े हैं। ये उद्योग इन लोगों के रोजी रोटी का अहम साधन है। लेकिन अनदेखी के चलते कई फेक्ट्रियां बंद हो गई, इसके अलावा राजसमंद-नाथद्वारा मार्ग पर बने गोदाम भी बंद हो रहे हैं। यही स्थिति रही तो आने वाले समय में इस उद्योग पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
स्टोन मंडी की जमीन के लिए भेजा प्रस्ताव
राज्य सरकार ने अपने पिछले बजट में मार्बल-ग्रेनाइट के लिए स्टोन मंडी की घोषणा की थी। इस घोषणा को इतना समय बीत जाने के बावजूद इसको लेकर प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है। जिला प्रशासन ने करीब 11 हैक्टेयर भूमि का प्रस्ताव भेजा है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद इस दिशा में काम आगे बढ़ेगा। ये जमीन पीपरड़ा के आस-पास चिन्हित की है।
स्टोन मंडी को लेकर नहीं आई कोई गाइड लाइन
वाहवाही लूटने में व्यस्त सरकार राइजिंग राजस्थान से बाहर नहीं निकल पाई है। यदि घोषणाओं पर तेजी से अमल किया जाए तो इस मार्बल उद्योग को बचाने की दिशा में काम किया जा सकता है। सोचने वाली बात ये है कि राज्य सरकार स्टोन मंडी को लेकर अब तक कोई गाइड लाइन नहीं भेज पाई है। ऐसे में जिले के अधिकारी भी इसको लेकर असमंजस में है कि स्वीकृत होने के बाद इस जमीन पर क्या काम किया जाएगा। अब तक, इस बजट घोषणा के लिए जमीन का चयन चुनौतीपूर्ण रहा है। क्योंकि राजसमंद जैसे क्षेत्र में इस तरह की बड़े पैमाने पर योजना को फलीभूत करने के लिए उपयुक्त भूमि ढूंढना सरल नहीं था। इतन समय लगाने के बाद पीपारड़ा के पास अब जमीन देखी और इसको प्रस्ताव सरकार के पास भेजा। इस बजट घोषणा के धरातल पर आने के बाद इसे स्टोन उद्योग के लिए एक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे ना केवल स्थानीय रोजगार सृजन होगा, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी।
इनका कहना है
जिला कलक्टर की ओर से रेवेन्यू विभाग को जमीन के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। अभी तक इसको लेकर स्वीकृति नहीं मिली है। जैसे ही स्वीकृति मिलेगी इस दिशा में प्लानिंग के साथ काम किया जाएगा।
– कुशाग्र, सहायक अभियंता, रीको