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भीलवाड़ा

शुद्ध पानी के नाम पर बड़ा कारोबार: तीन माह में एक बार पानी की जांच जरूरी

जांच से दूर भीलवाड़ा के 80 फीसदी आरओकहीं-कहीं बोरिंग या चंबल का पानी ठंडा कर बेचा जा रहा

भीलवाड़ाJun 12, 2023 / 10:34 am

Suresh Jain

शुद्ध पानी के नाम पर बड़ा कारोबार: तीन माह में एक बार पानी की जांच जरूरी

शुद्ध पानी के नाम पर बड़ा कारोबार: तीन माह में एक बार पानी की जांच जरूरी

भीलवाड़ा. जिले में शुद्ध पानी के नाम पर बड़ा कारोबार चल रहा है। जिले में शुद्ध एवं शीतल पानी के लिए 200 से अधिक आरओ (रिवर्स ओस्मोसिस) प्लांट चल रहे हैं। इनमें करीब 70 अकेले भीलवाड़ा शहर में है। इनमें 80 फीसदी से अधिक पानी की नियमित जांच से दूर हैं। नियम तीन माह में एक बार पानी की जांच कराने का है, लेकिन अधिकतर इसकी अनदेखी करते हैं। इतना ही नहीं, कई आरओ प्लांट बिना लाइसेंस के चल रहे हैं।

 

शुद्ध व शीतल पानी की आस में इन आरओ प्लांट से कैन मंगवाने वालों की सेहत पर भारी पड़ सकते हैं। हालांकि जिम्मेदार विभाग जांच व गड़बड़ी की ओर आंखें मूंदे हैं। बचाव में अधिकारी यह तक कहते हैं कि जांच का अधिकार नहीं है। सिर्फ उन्हीं स्थानों की जांच कर सकते हैं, जिनके पास पानी के पाउच व बोतल में पानी पैक करने का लाइसेंस है।
राजस्थान पत्रिका ने भीलवाड़ा शहर में संचालित आरओ वाटर की तहकीकात की तो पता चला कि अधिकतर बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं। कैनों में भरकर घरों व दुकानों में सप्लाई किए जा रहे पानी की जांच नहीं कराई जाती है। यहां बताते चले कि पानी की 21 तरह की जांच होती है।
दुकानदारों के लिए कैन ही सहारा
शहरी क्षेत्र में कैन घर और दुकानों में ज्यादा आती है। कई कैन सप्लायर आरओ की बजाय सीधा जमीन से निकाला पानी ठंडा कर उसमें थोड़ा फिल्टर पानी मिलाकर सप्लाई कर रहे हैं। आरओ का पानी बोलकर फिल्टर पानी की सप्लाई हो रही है। गर्मियो में ठंडे पानी की मांग बढ़ती है। बाजार में बड़ा हिस्सा आरओ प्लांट से आए कैन पूरा करते हैं। गर्मियों में सामाजिक संस्था चौराहों पर पानी के कैन रखवाते हैं। शादी या अन्य सामाजिक समारोह में भी यहीं पानी काम में लेते हैं। आरओ वाटर कारोबार तेजी से पनप रहा है।
नहीं होती कार्रवाई
बोरिंग के लिए केन्द्रीय भूजल बोर्ड से अनुमति लेनी होती है, जो भीलवाड़ा में किसी के पास नहीं है।
आईएसआई के बिना बंद बोतल का पानी नहीं बेच सकते लेकिन शहर में बिक रहा है।
भीलवाड़ा शहर में बोतल बंद के दो अधिकृत प्लांट हैं, लेकिन दर्जनों अवैध रूप से चल रहे हैं।
भीलवाड़ा जिले में बड़ी संख्या में आरओ प्लांट होने के बावजूद जांच कार्रवाई नहीं होती है।
वाहनों के जरिए पहुंच रहे कैन
पत्रिका पड़ताल में पाया कि गत कई महीनों से अधिकतर बोर और आरओ वाटर की लैब से जांच नहीं कराई गई है। लोगों को बिना जांच के ही आरओ पानी के नाम पर बोरिंग या चंबल के पानी को ठंडा कर बेचा जा रहा है। मालूम हो, जिले के कई कस्बों व भीलवाड़ा शहर में वाहनों के जरिए पानी के कैन सप्लाई किए जाते हैं। भीलवाड़ा के टेक्सटाइल बाजार सरीखे कई कॉम्पलेक्स में ऐसे हजारों कैन रोजाना की सप्लाई होते हैं।
नमूने लेने को कहा…लाइसेंस नहीं तो कार्रवाई
बोतल बंद वाटर प्लांट के सैम्पल लिए जा रहे हैं। आरओ प्लांट से भी पानी के नमूने लेने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को कहा है। बिना लाइसेंस के चल रहे प्लांट के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. मुस्ताक खान, सीएमएचओ भीलवाड़ा

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