किसानों ने बताया कि तेज धूप में भूमि में नमी कम हो रही थी। बीज नष्ट होने की आशंका थी। ऐसे में बुवाई को लेकर असमंजस था। अक्टूबर तक सरसों की बुवाई का उत्तम समय रहता है। ऐसे में चार दिन पहले मौसम ने मेहरबानी कर दी। जिले में कई जगह अंधड़ व बूंदाबांदी से बुवाई ने गति पकड़ ली।
गौरतलब है कि सरसों की बिजाई के समय अधिकतम तापमान 30 डिग्री या कम होना चाहिए। बीते कई दिनों से यह 35 से अधिक था। अब सोमवार को तापमान में गिरावट आई है। इस बार सामान्य से अधिक वर्षा होने से रबी की फसल अच्छी होने की संभावना है। किसानों ने बिजाई के लिए खेतों में जुताई कर पाटा लगा दिया था और अब तापमान में गिरावट होते ही बीज डालना शुरू कर दिया है।
देरी से हो सकता था नुकसान: किसानों का कहना कि यदि कुछ दिन तापमान में कमी नहीं आती तो सरसों की खेती पछेती हो जाती और आगे चलकर चेपा लगने और पाले में खराबे के आशंका रहती है। गौरतलब है कि खरीफ की फसल में अत्याधिक बारिश ने तिल व दलहन को नुकसान पहुंचाया था। किसानों को उमीद थी कि रबी में सरसों की फसल कर नुकसान की भरपाई हो जाएगी। इसे देखते खेतों की नमी बरकरार रखने के लिए अग्रिम जुताई आदि कर तैयारी कर रखी थी, ताकि सरसों का भरपूर उत्पादन हो सके। खाद-बीज भी बाजार से लाकर रख दिया, लेकिन तापमान के अस्थिर होने के कारण बुवाई के लिए इंतजार करना पड़ा है। कृषि विभाग के उप निदेशक गोपाल लाल कुमावत ने बताया कि जिले में बुधवार को करीब 675 टन खाद की आवक आने से किसानों को थोड़ी राहत मिलेगी। इससे बुवाई में भी तेजी आएगी।
रकबा बढ़ाया कृषि विभाग ने गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं ,चना व सरसों का रकबा बढ़ाया है। अच्छे मानसून के परिणामस्वरूप रबी का उत्पादन अधिक होने के आसार है। विभाग ने गेहूं और चना का रकबा क्रमश 5 व 5 हजार हैक्टेयर अधिक रखा है। सरसों के लिए 7 हजार हैक्टेयर ज्यादा का लक्ष्य है।