भीलवाड़ा में आठ करोड़ मीटर कपड़े का प्रतिमाह का उत्पादन होता है। इसमें दो करोड़ मीटर डेनिम शामिल है। प्रत्यक्ष रूप से 70 हजार से अधिक लोगों को रोजगार देने के बाद भी कई समस्याओं से जूझ रहा है। सरकार से मदद मिले तो भीलवाड़ा डेनिम उत्पादन में अहमदाबाद से आगे निकल सकता है, लेकिन स्वीकृति नहीं मिलने से उद्यमी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
उद्यमियों को कहना है कि डेनिम उद्योग में अपार संभावनाए है, लेकिन पानी की समस्या को दूर करना आवश्यक है। इस क्षेत्र में टेक्नीकल अपग्रेडेशन के कारण पानी की मात्रा काफी कम उपयोग में होती है। भूगर्भ जल विभाग की शर्तों के चलते स्वीकृति नहीं मिल रही है। हालांकि राज्य सरकार ने राजस्थान भूजल बोर्ड गठन के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, लेकिन अभी कोई काम नहीं हो रहा है।
सोनियाणा व रूपाहेली में भी नहीं पानी सरकार ने रीको के माध्यम से सोनियाणा में इंडस्ट्रीयल एरिया घोषित कर रखा है, लेकिन पानी नहीं है। इसके कारण वहा अभी भी जमीन खाली पड़ी है। सोनियाणा में लगी ग्लास फैक्ट्री को भी पानी की आवश्यकता है। सरकार ने टेक्सटाइल पार्क के लिए रूपाहेली में जमीन आरक्षित कर दी है। लेकिन इस क्षेत्र में भी पानी नहीं है। बड़ा महुआ, मोड का निम्बाहेड़ा, समेत रीको के जितने भी एरिया विकसित किए जा रहे है वहा पानी की संमस्या है।
प्रोसेस हाउस को नहीं मिल रहा पानी भीलवाड़ा में 19 प्रोसेस हाउस है। इनको भी सरकार की ओर से पानी नहीं मिल रहा है। वह अपने स्तर पर पानी की व्यवस्था कर रहे है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीट पानी भी कोठारी नदी में छोड़ा जा रहा है। यह पानी भी प्रोसेस हाउस को नहीं मिल पा रहा है। यह पानी भी हिन्दुस्तान जिंक अपने चंदेरिया स्थित प्लांट पर ले जाने के लिए अपनी योजना बना रहा है। हालांकि नगर निगम ने अभी सहमति नहीं दी है। भीलवाड़ा में अभी 10 एमएलडी का एसटीपी प्लांट जिंदल संचालित कर रहा है। इसके अलावा 10 एमएलडी का प्लांट जिंदल का तैयार है। कुवाड़ा में एक और नया 10 एमएलडी का एसटीपी प्लांट बनने वाला है। सीवरेज का भी 30 एमएलडी का प्लांट संचालित है। इसका पानी ट्रीट होने के बाद कोठारी नदी में छोड़ा जा रहा है।