नगरपालिका बनते ही रायपुर व बिजौलिया नगरपालिका में चेयरमैन की जगह नगरपालिका अधिशासी अधिकारी को प्रशासक नियुक्त कर दिया तो अब भाजपा सरकार ने एक राज्य एक चुनाव कराने की मुहिम में एसडीएम को प्रशासक नियुक्त कर दिया। इससे अभी तक शहर के स्थानीय राजनेताओं का पार्षद या चेयरमैन बनने का सपना कब पूरा होगा यह कोई नहीं बता सकता है।
सपने-सपने ही रह गए जब रायपुर व बिजौलिया पंचायत से नगरपालिका में कन्वर्ट किया तो शहर के राजनेताओं को उम्मीद थी कि शीघ्र ही उनको पार्षद या चेयरमैन बनने का मौका मिलेगा। कई लोग तभी से चुनावी तैयारियों में जुट गए। इस बीच सरकार ने वार्डों का गठन भी कर लिया था। स्थानीय राजनेताओं ने अलग- अलग वार्डों में लोगों की नब्ज टटोलना शुरू भी कर दिया था, लेकिन उनके सपने-सपने ही रह गए।
राज्य सरकार के निर्देश पर हुए कार्य रायपुर नगरपालिका में दो साल में शहर में जितने भी काम हुए राज्य सरकार के निर्देश पर हुए। गत वर्ष तक कांग्रेस सरकार थी, तो कांग्रेस जन प्रतिनिधियों एवं नेताओं की पूरी चली और सरकार बदल कर भाजपा आई तो अब भाजपा का बोलबाला है। बिजौलिया नगर पालिका के भी यही हाल है।
एसडीेएम बने प्रशासक रायपुर व बिजौलिया नगरपालिका में चुनाव नहीं होने के कारण पहले तो चेयरमैन की कुर्सी अधिशासी अधिकारी के हाथ में थी, और अब सरकार ने एसडीएम को सौंप दी। ऐसे में पहले शहर के विकास का जिम्मा जन प्रतिनिधियों की जगह अधिशासी अधिकारी के हाथ में था। अब एसडीएम को प्रशासक बनाने के बाद एसडीएम के हाथ में कमान रहेगी। यदि पहले ही नगरपालिका के चुनाव हो जाते तो जनता का चुना हुआ जनता के हितों के अनुरूप विकास करवा पाएगा। पार्षद अपने- अपने वार्ड में जरूरत के हिसाब से विकास की आवाज उठाते, लेकिन नगरपालिका बनने से लेकर अब तक शहर में होने वाले विकास नगर पालिका ईओ ही करवाते आएं हैं। इन नगर पालिका ईओ ने जनता से आज तक नहीं पूछा कि किस वार्ड में कौन सा विकास करवाना है।