देशभर में वस्त्र नगरी के नाम से पहचान रखने वाले भीलवाड़ा का कुश्ती में भी बड़ा नाम है। यहां के विभिन्न अखाड़ों से निकल रहे पहलवानों का देश-प्रदेश में दबदबा है। भीलवाड़ा व पुर के अखाड़ों से करीब पांच हजार पहलवान निकल चुके हैं। वर्ष 2009 के बाद से भीलवाड़ा के युवाओं में कुश्ती के प्रति रूचि तेजी से बढ़ी है।
भीलवाड़ा•Aug 22, 2023 / 01:07 pm•
Akshita Deora
सुरेश लाहौर/भीलवाड़ा. देशभर में वस्त्र नगरी के नाम से पहचान रखने वाले भीलवाड़ा का कुश्ती में भी बड़ा नाम है। यहां के विभिन्न अखाड़ों से निकल रहे पहलवानों का देश-प्रदेश में दबदबा है। भीलवाड़ा व पुर के अखाड़ों से करीब पांच हजार पहलवान निकल चुके हैं। वर्ष 2009 के बाद से भीलवाड़ा के युवाओं में कुश्ती के प्रति रूचि तेजी से बढ़ी है। सालभर में कुश्ती के विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रदेश में जितने मेडल आते हैं, उसमें 50 प्रतिशत भीलवाड़ा के पहलवानों के होते हैं। मेवाड़ में कुश्ती के पुरोधा रहे उस्ताद हीरापुरी पहलवान भी भीलवाड़ा के ही हैं। हीरापुरी पहलवान के शिष्य मदन पहलवान के समय 70-80 का दशक भीलवाड़ा की कुश्ती का एक तरह से स्वर्णिम काल माना जाता है। मदन पहलवान लगातार 16 साल तक राजस्थान चैम्पियन रहे। वर्ष 1973, 74 और 1975 में भी लगातार ऑल रेल्वे चैम्पियन गोल्ड मेडलिस्ट रहे। देश में कुश्ती के पुरोधा रहे गुरु हनुमान अखाड़े के चार प्रमुख नामी पहलवानों में भीलवाड़ा के मदन पहलवान भी शामिल थे।
उस्ताद हीरापुरी ने कुश्ती को दिया नया मुकाम
हीरापुरी उस्ताद ने अपने साथियों प्यारचंद उस्ताद, घीसू पहलवान व देवा उस्ताद के साथ मिट्टी के अखाड़े में कामयाबी का सिलसिला शुरू किया, वो आज मेट के जमाने तक सफलता की कहानी लिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय पहलवान मदन गुर्जर ने देश के कई प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में दबदबा कायम किया।
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