चार माह से मांगलिक कार्यों से रोक हटते ही एकादशी पर विवाह संस्कारों की धूम रही। अबूझ मुहूर्त होने के कारण खूब शहनाई बजी। मैरिज होम, बैंक्वेट हाल, बरात घर व फार्म हाउस आदि में रौनक लौट आई। सड़कों पर बरात निकलने से चहल-पहल रही। कई स्थानों पर जाम के हालात रहे।
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु शयन मुद्रा के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं। चार माह बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष देवोत्थानी एकादशी पर जागृत होते हैं। मांगलिक कार्य से लगी रोक हटने से मंडप सजाए गए और खूब शहनाई बजी। मांगलिक कार्य, गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन व देव प्रतिष्ठा इत्यादि शुरू हो गए। अबूझ मुहूर्त होने के कारण मैरिज हाल, होटल, बैंक्वेट हाल व पार्टी हाल आदि में फूल रहे। यहां तक कि खुले मैदानों में भी टेंट लगाए गए। बैंड बाजा, घोड़ा-बग्गी वालों की भी शिफ्ट चली। फूल, मंडप सजाने वालों का भी कारोबार खूब चमका। दुल्हन को मेकअप कराने के लिए ब्यूटीशियन के यहां इंतजार करना पड़ा।
घरों में दीपक से की रोशनी देवशयनी एकादशी को छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस मौके पर हर घर व मंदिरों में शाम को दीपक जलाए गए। इससे हर घर रोशनी से जगमगा उठे। मंदिरों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए।