शिवमहापुराण में पहली बार कथावाचक पं मिश्रा ने गौमाता का विवाह प्रसंग की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि मंथन में निकली सुरभि गौमाता का विवाह कश्यप ऋषि से हुआ। यह विवाह भगवान शिव के कहने पर कश्यप ऋषि ने की। ऋषि ने भगवान शिव से यह वर मांगा था कि विवाह तो कर लूंगा लेकिन आप उनके पुत्र के रूप में मिलेंगे। तब भगवान शिव ने वर दिया 11 रूद्र अवतार के रूप में गौ माता के उदर से प्रगट हुए। जिसमें कपालि, भीम, शंभू, भव, चहुं आदि हैं। गौ माता विवाह के दौरान कथा पंडाल में मंगलगीत गाए गए। दक्ष प्रजापति व उनकी पत्नी बीरनी ने अपनी पुत्री सुरभि यानी कामधेनु माता का कन्या दान किया। कथा पंडाल में लाखों श्रद्धालु इस विवाह के साक्षी बने और बधाईयां दी। श्रद्धालुओं ने टीकावन भी दिया।
जिनके घर बेटी हो वहीं अपनी बेटी ब्याहें
अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पं मिश्रा ने कहा कि तीन चीजों को बड़ी सोच समझकर देना चाहिए। वह है गाय, बेटी और लक्ष्मी (धन) । उन्होंने कहा कि जिस परिवार के घर में बेटी हो वहीं अपनी बेटी का ब्याह करना चाहिए। इसलिए कि जिनके घर बेटी होती है वे ही बेटी का दुख दर्द बेहतर समझ सकते हैं। ऐसे परिवार बहू को भी अपनी बेटी समझते हैं। अब उनकी बेटी बिदा होती है तो पता चलता है कि कितनी तकलीफ होती है। बेटी दो कुल को तारती है और बेटा एक कुल को। इसलिए बेटी के जन्म को उत्सव के रूप में मनाने की जरूरत है।
बेटी की किलकारी वहां यमराज का गदा प्रवेश नहीं करता
कथावाचक पं मिश्रा ने कहा कि अभी नवरात्र आने वाली है। नवरात्रे में दूसरे की कन्या का पूजन करते हैं। भोज करवाते हैं। जब उन्ही के घर कन्या जन्म लेती है तो उनका मुंह उतर जाता है। करोड़पति तक के यहां बेटी के जन्म लेने पर खुशी का माहौल नहीं दिखाई देता। जिस घर में बेटी की किलकारी गूंजती है वहां यमराज का गदा प्रवेश नहीं करता।
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व्यासपीठ में हजारों पत्रों का ढ़ेर लग गया है। इसमें से कुछ पत्रों को कथावाचक पं मिश्रा ने पढ़ा। एक पत्र में राजापरपोड़ी निवासी अश्वनी गोस्वामी ने कहा कि उनकी पत्नी के छाती में कैंसर हो गया था। उपाय करने से आज वह स्वस्थ्य है। रिसाली सेक्टर के योगेन्द्र कुमार ने बैंक में नौकरी पाने का जिक्र पत्र में किया था। भ्रटगांव की एक महिला ने अपने पति के व्यसन छुटने की जानकारी दी।