लोकेशन ट्रेस करने पर कॉल सेंटर से राजस्थान की एम्बुलेंस बुलाने की सलाह मिलती है। करणपुर इलाके मेें स्टैंडर्ड कॉल वाली अन्य सर्विसेज का कमोबेश यही हाल है। पिछले दिनों बिजली के करंट से झुलसे पांच में से दो लोगों की मौत इसी कारण से एम्बुलेंस नहीं पहुंचने से हो गई थी।
एम्बुलेंस समय पर पहुंचती तो नहीं होती मौत
पिछले दिनों करणपुर क्षेत्र में करंट से पांच जने झुलस गए थे। ग्रामीणों ने घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस को फोन किया तो नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं मिली। काफी जद्दोजहद के बाद भी दुर्घटनास्थल पर एम्बुलेंस नहीं पहुंची।
100, 101 व 104 नंबर की कॉल के भी यही हाल
डांग क्षेत्र में नेटवर्क की बेहतर कनेक्टिविटी के अभाव में संचार व्यवस्था से जुड़ी सभी सेवाएं सुस्त हैं। जो राजस्थान का नेटवर्क नहीं मिलने से सेवाओं का संदेश मध्यप्रदेश से घूम कर मिलता है। 108 एंबुलेंस के अलावा 104 ममता एक्सप्रेस (महिला स्वास्थ्य सेवा) 101 अग्निशमन, 100 पुलिस सहायता केन्द्र के सभी हेल्पलाइन नम्बर की कॉल मध्यप्रदेश पहुंचती हैं।
20 हजार से अधिक उपभोक्ताओं को हो रही परेशानी
वर्तमान में समय में खाद्य रसद वितरण, खाद बीज वितरण, सभी ई-मित्र सेवाओं में, सभी सरकारी डिजिटल सेवाएं ऑनलाइन सम्पादित होती हैं। करणपुर में नेटवर्क नहीं मिलने से करौली या सपोटरा जाना पड़ता है। उप तहसील क्षेत्र में बीएसएनएल के 20 हजार से अधिक उपभोक्ता हैं, लेकिन वे अन्य दूरसंचार कंपनियों से जुड़ने को मजबूर हैं।
ओएफसी लाइन जोड़ने की प्रक्रिया अधरझूल में
डांग क्षेत्र के विकास और दूरसंचार की सुविधा में वन विभाग की अड़चन के कारण करणपुर का बीएसएनएल टावर मध्यप्रदेश के बीरपुर से मिनी लिंक से जुड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश के बीरपुर की बीएसएनएल ओएफसी लाइन आए दिन कटती रहती है। जिससे डांग क्षेत्र करणपुर को माह में एक दो दिन ही सेवाएं मिल पाती हैं। मध्यप्रदेश के बीरपुर, सिल्लीपुर (श्यामपुर), रघुनाथपुर से जिओ के नेटवर्क के सिग्नल मिलते हैं। उप तहसील क्षेत्र को बीएसएनएल सेवाओं के लिए ओएफसी लाइन को जोड़ने की प्रक्रिया अधरझूल में है।