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25 साल में भरतपुर जिले की इन तीन विधानसभा सीटों के गढ़ को नहीं भेद पाए निर्दलीय व अन्य दल, भाजपा व कांग्रेस का ही कब्जा

भरतपुर. जिले की सात विधानसभा सीटों पर बीते पांच विधानसभा चुनावों में (वर्ष 1993 से वर्ष 2013 तक) भाजपा, कांग्रेस और अन्य दल व निर्दलीयों के बीच जबर्दस्त जोर आजमाइश रही। कुछ सीटों पर भाजपा व कांग्रेस ने बारी-बारी से कब्जा जमाए रखा, तो कुछ सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने दोनों राष्ट्रीय दलों का गढ़ भेद दिया।

भरतपुरDec 02, 2018 / 08:50 pm

shyamveer Singh

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भरतपुर. जिले की सात विधानसभा सीटों पर बीते पांच विधानसभा चुनावों में (वर्ष 1993 से वर्ष 2013 तक) भाजपा, कांग्रेस और अन्य दल व निर्दलीयों के बीच जबर्दस्त जोर आजमाइश रही। कुछ सीटों पर भाजपा व कांग्रेस ने बारी-बारी से कब्जा जमाए रखा, तो कुछ सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने दोनों राष्ट्रीय दलों का गढ़ भेद दिया। एक सीट ऐसी भी रही जहां अन्य दलों को धूल चटाकर ‘हाथीÓ ने अपना पैर जमा दिया। राजस्थान पत्रिका ने भरतपुर जिले की सातों विधानसभा सीटों के बीते पांच विधानसभा चुनावों (वर्ष 1993 से वर्ष 2013 तक) के परिणामों पर नजर डाली तो कई रोचकर बातें सामने आईं।
भरतपुर : कांग्रेस पर भारी पड़ी थी इनेलो
भरतपुर विधानसभा क्षेत्र में बीते पांच चुनावों में किसी निर्दलीय प्रत्याशी दाल नहीं गली। लेकिन वर्ष 2003 में इनेलो के प्रत्याशी विजय बंसल ने भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों को हार का स्वाद चखाया। उसके बाद लगातार वर्ष 2008 व 2013 में भाजपा से विजय बंसल ही विजयी रहा। उससे पूर्व वर्ष 1993 व 1998 में कांग्रेस से आरपी शर्मा लगातार जीते।
डीग-कुम्हेर: भाजपा व कांग्रेस का ही कब्जा
वर्ष 2013 में कांग्रेस से विश्वेन्द्र सिंह विजयी रहे। उससे पहले वर्ष 2008 व 2003 में भाजपा से डॉ. डिगम्बर सिंह जीते, वहीं वर्ष 1998 व 1993 में कांग्रेस प्रत्याशी हरी सिंह विजयी रहे। डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र से बीते पांच साल में भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य दल व निर्दलीय जीत दर्ज नहीं कर पाए।
कामां : यहां अन्य पर नहीं जताया विश्वास
कामां विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1993 व 1998 में कांग्रेस प्रत्याशी तैयब हुसैन जीते। उसके बाद वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा के मोहन सिंघल, वर्ष 2008 में कांग्रेस से जाहिदा खान और वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा से जगत सिंह विजयी रहे। यहां भी पांच चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य किसी दल का प्रत्याशी नहीं जीत पाया।
नगर : हाथी ने ध्वस्त किया था गढ़
नगर विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1993 में भाजपा से गोपीचंद, 1998 में बसपा से आजाद, 2003 में कांग्रेस से माहिर आजाद, 2008 व 2013 में भाजपा से अनीता सिंह विजयी रही। यहां पांच चुनावों में से 1998 के चुनाव में ‘हाथीÓ ने भाजपा व कांग्रेस का गढ़ ध्वस्त कर दिया और जीत हासिल की।
नदबई : भाजपा-कांग्रेस पर भारी पड़े थे निर्दलीय प्रत्याशी
नदबई विधानसभा क्षेत्र में बीते पांच विधानसभा चुनावों में से दो बार के चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा व कांग्रेस पर भारी पड़े। वर्ष 1993 में कांग्रेस से विश्वेन्द्र सिंह व 2008 व 2013 में भाजपा प्रत्याशी कृष्णेन्द्र कौर दीपा विजयी रही। लेकिन वर्ष 2003 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कृष्णेन्द्र कौर दीपा व 1998 में निर्दलीय प्रत्याशी यशवंत सिंह (रामू) ने भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के दांत खट्टे कर जीत हासिल की।
वैर: पांच चुनावों में दो दलों के प्रत्याशी काबिज
वर्ष 1993 में भाजपा से रेवती प्रसाद, 1998 में कांग्रेस से शांति पहाडिय़ा, 2003 में कांग्रेस से ही जगन्नाथ पहाडिय़ा, 2008 व 2013 में भाजपा से बहादुर सिंह कोली विजयी रहे। लेकिन 2013 के चुनाव के बाद यहां बाई-पोल हुए जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव को एमएलए चुना गया। यानी इस क्षेत्र की जनता ने भी पांच चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य किसी दल व निर्दलीय पर विश्वास नहीं जताया।
बयाना: सिर्फ दो साल जताया जनता दल पर विश्वास
बयाना विधानसभा क्षेत्र में बीते पांच विधानसभा चुनावों में एक बार वर्ष 1993 में जनता ने जनता दल (बृजराज सिंह) पर विश्वास जताया लेकिन वो भी सिर्फ करीब दो साल के लिए। वर्ष 1995 में बाई-पोल में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह को एमएलए चुना गया। उसके बाद वर्ष 1998 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह सूपा, 2003 में भाजपा प्रत्याशी अतर सिंह भड़ाना, 2008 में भाजपा प्रत्याशी ग्यारसाराम कोली, 2013 में भाजपा से ही बच्चू सिंह बंशीवाल विजयी रहे।

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