हम आगे नहीं आते तो कौन बचाता जिंदगी भरतपुर . कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ तहस-नहस सा कर दिया, लेकिन चिकित्सकों की टीम धैर्य के साथ मोर्चे पर डटी रही। इसी की बदौलत हम लोगों की जिंदगी बचाने में कामयाब हो सके। हालांकि यह बड़ी चुनौती थी, लेकिन चिकित्सकों ने इसका डटकर मुकाबला किया। यह इस पेशे का दायित्व भी था। यदि हम आगे नहीं आते तो लोगों की जिंदगी कौन बचाता। यह कहना है कि शहर के वरिष्ठ फिजीशियन 84 वर्षीय डॉ. आर.जी. अग्रवाल का। सीएमएचओ पद से सेवानिवृत कृष्णा नगर निवासी डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि यह बात जेहन में थी कि इस दौर में घर से बाहर नहीं निकलना है, लेकिन घर पर उम्मीद में आए मरीजों को निराश भी नहीं कर सकते थे। इसी भावना के साथ मरीजों की सेवा में जुटे रहे। इस दौरान कुछ पॉजिटिव तो कुछ नेगेटिव मरीज सामने आए। सभी को उचित उपचार दिया गया। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना के दौर में नाउम्मीद मरीजों को हौसला तोड़ रही थी। इस समय मैंने यह ठाना था कि कोई भी मरीज बिना उपचार के नहीं लौटे। हालांकि इसमें उम्र की रोड़ा था, लेकिन पूरे हौसलों के साथ चिकित्सक पेशे के धर्म को निभाया। आज हालात बेहतर हैं। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि लोग अब मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग रखने और वैक्सीन लगवाने के प्रति जागरूक हुए हैं। यही एक वजह है जिससे हम तीसरी लहर से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि इस दौर में जो चिकित्सक से जो सेवा बनी। वह उसने की। इसी की बदौलत आज हम सुकून के दौर में हैं।
जवाहर नगर निवासी डॉ. सिंह की उम्र वर्तमान में 74 वर्ष है। वह वर्ष 2020 में ऐच्छिक सेवानिवृति ले चुके हैं, लेकिन सेवा का जज्बा ऐसा है कि कोई भी मरीज यदि घर दिखाने पहुंच जाए तो वह निराश होकर नहीं लौटता। खास बात यह है कि डॉ. सिंह फीस भी समृद्ध लोगों से ही लेते हैं। निर्धन परिवार, शहीद की विधवा, आर्मी में नौकरी करने वाले सैनिक एवं ऐसे लोग जो फीस नहीं दे सकते हैं। वह उनसे कभी फीस नहीं लेते। इसके पीछे उनकी धारण मानव सेवा की है। वह कहते हैं कि आज भी समाज में बहुतेरे ऐसे लोग हैं, जो महंगा इलाज कराने में समक्ष नहीं हैं। ऐसे लोगों की सहायता करना सभी का धर्म बनता है। खास तौर से चिकित्सकीय पेशा ऐसा है, जहां से हम ऐसे पीडि़त लोगों की सेवा कर सकते हैं। इसी धारणा के चलते वह ज्यादातर बिना फीस के ही मरीजों की सेवा करते हैं। डॉ. सिंह अन्य समाज सेवा के कार्यों से भी जुड़े हुए हैं। डॉ. सिंह के पुत्र डॉ. दीपक सिंह भी भरतपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में तैनात हैं।