कमेटी फाइनल रिपोर्ट जल्द ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सौंपेगी। जिसे 20 नवंबर को आयोजित केबिनेट की बैठक में रखा जा सकता है। जिसमें सरकार कुछ नवगठित जिलों को रद्द करने का फैसला ले सकती है। लेकिन उससे पहले जिले के अस्तित्व को लेकर पत्रिका से खास बातचीत में प्रदेश के गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम ने डीग जिले के यथावत जिला बरकरार रखने की बात कही।
दशकों पुराने संघर्ष का परिणाम है जिला
डीग जिला बनने के संघर्ष की कहानी दशकों पुरानी है। तकरीबन 14 साल पहले जन-जागरण विकास मंच एवं राष्ट्रीय एकता संस्थान की ओर से 6 जुलाई 2010 से 5 नवंबर 2010 तक शहर के पुराना बस स्टैंड चिकित्सालय के सामने 123 दिन धरना दिया गया था। वहीं बार एसोसिएशन के नेतृत्व में अधिवक्ताओं की ओर से तकरीबन 119 दिन सांकेतिक धरना दिया गया। धरने के समर्थन में 4 जनवरी 2023 को व्यापार महासंघ के सहयोग से डीग के बाजारों को ऐतिहासिक बंद रखा गया। भाजपा के पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी भी अधिवक्ताओं के धरने को समर्थन दे चुके हैं। पत्रिका ने जिले के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए लगातार उठाया मुद्दा
प्रदेश में गठित नए जिलों की समीक्षा के लिए सरकार की ओर से गठित की गई समिति के बाद
राजस्थान पत्रिका ने जिले के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए लगातार इसे मुद्दा बनाकर प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की। पत्रिका ने समिति के गठन के साथ ही 24 जून के अंक में ‘समीक्षा पर निर्भर भविष्य, डीग जिला हटा तो सपनों पर होगा कुठाराघात‘ शीर्षक लिए प्रमुखता से खबर प्रकाशित की। पत्रिका ने अपने 11 अगस्त के अंक में ‘डीग जिले पर संकट के सियासी बादल‘ और 7 सिंतंबर के अंक में ‘नए जिलों पर जल्द होगा फैसला, केन्द्रीय गृहमंत्री को लिखा पत्र, धडकनें बढी‘ शीर्षक सहित जिले के लोगों के जिला बनाए रखने के सपनों को लेकर कई और खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की।