बयाना : युवा गुजरात पलायन को मजबूर
बयाना क्षेत्र के विकास पर लोगों की दिलों की बात हमने जानी तो ग्यारसीलाल का कहना था कि दोनों क्षेत्रों के विधायक अलग-अलग खेमों से होने के कारण बयाना का विकास नहीं हो सका। न्यायालय के बाहर कुछ लोगों से चर्चा हुई तो ग्यारसीलाल ने तो अपने विधायक का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके घर-गांव खोरी तक भी सड़क नहीं बन सकी है। यहां पत्थर व्यवसाय ही एक मात्र रोजगार का साधन है। कमाई के अन्य साधन नहीं होने से लोग गुजरात में पलायन कर रहे हैं। डांग क्षेत्र ज्यादा होने के साथ ही यहां अपराध भी ज्यादा है। इससे रोजगार के साधन विकसित नहीं हो पा रहे। चंबल का पानी गंभीरी नदी में छोड़ने की मांग अभी भी अधूरी है।
कांई मत पूछो…म्हाकी तो सारी फसलां ही खराब होगी, बीमों अबार ताईं न मल्यो
वैर : प्रोसेसिंग यूनिट की मांग अधूरी
वैर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे तो यहां समराया गांव में चौपाल पर बैठे गोपाल समराया और राजू सैनी ने पानी की समस्या के साथ ही अस्पतालों की स्थिति अच्छी नहीं होने की बात कही। पानी की पाइपलाइन तो डल रही है, लेकिन पानी कम है। वैर क्षेत्र में फसलों के रूप में अमरूद और नींबू हो रहे हैं। अमरूद के बाग बहुतायत में हैं। ऐसे में यहां लंबे समय से फूड प्रोसेसिंग यूनिट की मांग की जा रही है। यहां प्रताप दुर्ग के सौन्दर्यीकरण की मांग भी चल रही है। वैर को आगरा हाईवे से जोड़ने वाली सड़क पर जरूर तेजी से काम चल रहा है।
नदबई : अब तक नहीं मिला चंबल का पानी
नदबई अपने तेल उद्योग के लिए जाना जाता है। लोग शिक्षण संस्थाओं को लेकर भी अपने क्षेत्र को आगे मानते हैं। लेकिन अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तरह चंबल के पानी की मांग पूरी नहीं हुई है। पेयजल व्यवस्था पूरी तरह नलकूपों पर ही निर्भर है, मगर कुछ क्षेत्रों में पानी खारा होने से समस्या बनी हुई है। कस्बे के बाहर एक दुकान पर बैठे रामदयाल का कहना था कि सड़कों की स्थिति पहले ठीक नहीं थी पर अब कुछ क्षेत्रों में सड़कों पर काम शुरू हुआ है। कस्बे की एक बड़ी समस्या जाम की भी है। कस्बे के बीच से गुजरने वाली रेलवे लाइन के कारण जाम के हालात रहते हैं। ओवरब्रिज की मांग चल रही है।
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चिरंजीवी योजना से खुश
राज्य सरकार के कामकाज को लेकर गोपाल समराया ने कहा कि पानी की कमी है। वैसे बिजली पर्याप्त मिल रही है। अनाज भी मिल रहा है, लेकिन पहले से कम हो गया है। चिरंजीवी बीमा योजना से वे खुश नजर आए। वहीं, राजू सैनी कहते हैं कि चिरंजीवी योजना ठीक है, लेकिन सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की कमी रहती है।
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