वक्ताओं ने किसानों ने एकजुट होकर ईआरसीपी-पीकेसी के प्रथम चरण में ही भरतपुर की सूखी पड़ी नदियों को जोडकऱ पानी पहुंचाने की जरूरत बताते हुए कहा कि बगैर पानी के स्थाई समाधान के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भी अपनी पहचान खोता चला जा रहा है। घने को स्थाई तौर पर पानी का इंतजाम हो जाता है तो इससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और होटल व्यवसाय सहित अन्य लोगों को रोजगार मिलेगा।
किसानों ने कहा कि पानी के मुद्दे को लेकर कस्बा हलैना में 12 जनवरी को पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की होने वाली जनसभा में क्षेत्र के अनेक किसान हिस्सा लेंगे। पूर्व सांसद और पानी आन्दोलन के अगुआ पंडित रामकिशन ने कहा कि सरकार कह रही हैं कि गरीबी कम हुई है तो फिर आयकर दाताओं की भी तो संया बढऩी चाहिए।
केवल एक प्रतिशत लोग ही आयकर दे रहे हैं। बरसाती पानी के लिए भी सरकार को अलग से योजना बनानी चाहिए। किसान नेता इन्दल सिंह जाट ने कहा कि अन्य जिलों के मुकाबले भरतपुर जिला विकास के हर मापदण्ड में लगातार पिछड़ता जा रहा है।
यहां खेत को सिंचाई का पानी नहीं और नौजवान बेरोजगार घूम रहे हैं। एनसीआर और टीटीजेड को समाप्त करने की जरूरत बताते हुए कहा कि एनसीआर से लाभ नहीं है, उल्टे जनता को तरह-तरह के टैक्सों का नुकसान भुगतना पड़ रहा है। ईआरसीपी-पीकेसी मंजूर हो गई है, अब कार्य तेजगति से होना चाहिए।
कच्चा परकोटा आन्दोलन के नेता इन्द्रजीत भारद्वाज ने सरकार से ईआरसीपी के हुए समझौता को सार्वजनिक करने की मांग करते हुए भरतपुर को सिंचाई का पानी और पेयजल की व्यवस्था प्रथम चरण में एक साथ करने की मांग की। किसानों ने जमीन की डीएलसी दरों को कम करने की मांग की।
किसानों ने कहा कि ग्राम श्रीनगर क्षेत्र के गांवों पर जो डीएलसी की दरें लगाई हैं, उसमें अधिक दूरी के गांवों को शामिल नहीं करने और दरों को भी कम करने की मांग रखी।
जनसभा को यदुनाथ दारापुरिया, इन्द्रजीत भारद्वाज, गुर्जर महासभा के श्रीराम चन्देला, जगदीश गुर्जर एडवोकेट बंजी, सोबरन सिंह नेताजी अघापुर, दिलीप सिह पप्पन, पूर्व सरपंच विनीत भारद्वाज खडैरा, घनसुन्दर पटेल दारापुर, शिवराम अधापुर, शिब्बा पटेल एवं भीम सिंह ने भी सभा को संबोधित किया। अध्यक्षता किसान नेता यदुनाथ दारापुरिया ने की। संचालन भरतपुर के नेता प्रतिपक्ष रहे इन्द्रजीत भूरा ने किया।