यह काश्तकार की भूमि पर बोई गई फसलों और खाली छोड़ी गई भूमि की ई-गिरदावरी होगी जो पारम्परिक गिरदावरी से अलग होगी। प्रदेश में अभी तक गिरदावरी कार्य राजस्व पटवारी राजस्थान भू राजस्व रुल्स 1957 के अनुसार खेतों में जाकर करते थे। ई-गिरदावरी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग राजस्थान ने चार मोबाइल ऐप तैयार किए हैं। किसान इन्हीं ऐप के माध्यम से अपनी भूमि की गिरदावरी की रिपोर्ट देख सकेगा। इसके लिए उसे पटवारी के पास नहीं जाना पड़ेगा। ई-गिरदावरी प्रदेश के पुराने 33 जिलों की 413 ऑनलाइन तहसीलों में से चयनित 335 तहसीलों के 38821 गांवों में होगी। जिलों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ई-गिरदावरी डीग-भरतपुर दोनों जिलों की 17 ऑनलाइन तहसीलों में से चयनित 13 तहसीलों के 1368 गांवों में होगी।
जिलों में यहां होगी ई-गिरदावरी : -ऑनलाइन तहसील – 17 -चयनित तहसील – 13 – डीग, नगर, कामां, कुम्हेर, जनूथर, जुरहरा, पहाडी, भरतपुर, बयाना, वैर, भुसावर, नदबई व उच्चैन। -चयनित गांव – 1368
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ई-गिरदावरी से फायदा
-ई-गिरदावरी के राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर केन्द्र सरकार को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने, क्षेत्रवार उर्वरक आपूर्ति निर्धारण, अंतरराष्ट्रीय आयात-निर्यात की योजना तैयार करने में मदद मिलेगी। -फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन सही तरीके से किया जा सकेगा। -खराबा होने की स्थिति में ई-गिरदावरी के आधार पर तैयार की गई विशेष गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर किसानों को मुआवजा जारी करने में मदद मिलेगी।
रखे जाएंगे सर्वेयर ई-गिरदावरी के लिए प्राइवेट सर्वेयर रखे जाएंगे। इनका चयन पटवारी करेगा। चयन का अनुमोदन उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। सर्वेयर के चयन के लिए पटवार सहायक को प्रथम प्राथमिकता, कृषक मित्र को द्वितीय तथा ई-मित्र संचालक को तृतीय वरीयता दी जाएगी। साथ ही गांव के युवाओं का चयन भी ग्राम स्तर पर सर्वेयर के रूप में हो सकेगा।