भरतपुर

Natwar Singh Dies: नटवर सिंह की एक पुस्तक ने ला दिया था देश की राजनीति में भूचाल

Natwar Singh Biography: भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देने के बाद नटवर सिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और भरतपुर से लोकसभा का चुनाव जीता।

भरतपुरAug 11, 2024 / 10:59 am

Meghshyam Parashar

राजस्थान के जघीना गांव में जन्मे पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह का शनिवार देर रात गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 95 साल के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनका अंतिम संस्कार रविवार को दिल्ली में होगा। नटवर सिंह तीन दशक तक देश की राजनीति में सिरमौर रहे। एक बार उनके प्रधानमंत्री बनने की भी चर्चाएं चलीं। विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने भरतपुर और देश का नाम काफी रोशन किया। उनका जन्म 16 मई 1929 को हुआ। पिता मेजर गोविंद सिंह एवं मां प्रयाग कौर के चार पुत्रों में से यह सबसे छोटे थे और पढ़ाई में ज्यादा रुचि थी।
उन्होंने सिंधिया स्कूल ग्वालियर, मेयो कॉलेज अजमेर, दिल्ली और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय में स्कॉलर रहे। 1953 में भारतीय विदेश सेवा में चुने गए। 1985 में राजीव गांधी के मंत्रीमंडल में मंत्री बने। दूसरे चुनाव में मथुरा से हार गए। उन्होंने मई 2024 से दिसंबर 2005 तक विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। 1984 में पद्य भूषण मिला। विदेश सेवा में 31 साल सेवा की। सुजानगंगा का पहला जीर्णोद्वार कार्य उनके प्रयासों से हुआ।

1984 में गांधी पार्क में हुए अभिनंदन समारोह में सुजान गंगा नहर का विषय उठा। पहली बार नहर को खाली कर जीर्णोद्वार का कार्य उनके प्रयासों से हुआ। भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देने के बाद सिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और भरतपुर से लोकसभा का चुनाव जीता। 1985 में इस्पात, कोयला और खान तथा कृषि विभाग राज्यमंत्री बने। 1987 में न्यूयॉर्क में निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अध्यक्ष बने। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। 1991 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी सत्ता में लौटी, जब राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। तब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। विवाद होने पर उन्होंने एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह के साथ मिलकर नई राजनीतिक पार्टी अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस का गठन किया।

2008 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए

1998 में सोनिया गांधी का पार्टी में नियंत्रण हो गया और वे भी कांग्रेस में शामिल हो गए और भरतपुर से सांसद चुने गए। 2002 में राज्यसभा में चुने गए। 2004 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नटवर सिंह को विदेश मंत्री नियुक्त किया। नटवर सिंह ने 23 मई 2004 को भारत के विदेश मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया। 27 अक्टूबर 2005 को जब सिंह आधिकारिक यात्रा पर विदेश में थे। पॉल वाल्कर की अध्यक्षता वाली स्वतंत्र जांच समिति तेल के बदले अनाज कार्यक्रम में भ्रष्टाचार की अपनी जांच रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि नटवर सिंह का परिवार तेल के बदले अनाज कार्यक्रम के गैर अनुबंधित लाभार्थी थे। इसके बाद नटवर सिंह ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। जयपुर रैली में इस्तीफे की घोषणा की। इस अवसर पर नटवर सिंह ने अपनी बेगुनाही का दावा किया। वर्ष 2008 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए, लेकिन चार महीने बाद छोड़ दिया।

नटवर सिंह लायब्रेरी में खाते थे खाना


नटवर सिंह को पढऩे का बहुत शौक था। उनकी निजी लायब्रेरी में 10 हजार से ज्यादा किताबें हैं। फुर्सत की शाम उनकी लायब्रेरी में गुजरती थी। अनके दफा वहीं भोजन करते थे। उन्होंने महाराजा सूरजमल हिज लाइफ एंड टाइम्स तथा वन लाइफ इज नॉट एनएफ आदि किताबें लिखी। वह सभाओं में भी पढ़ाई पर जोर देते थे और अपना उदाहरण देते थे।

नटवर सिंह की आत्मकथा ने मचा दिया था भूचाल


अगस्त 2014 में सिंह की आत्मकथा वन लाइफ इज नॉट इनएफ जारी हुई। इस किताब ने दिल्ली के राजनीतिक हलकों में हंगामा कर दिया। किताब इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के शासन के दौरान कई संवेदनशील घटनाक्रमों का खुलासा करती है। किताब में नटवर सिंह की ओर से वोल्कर रिपोर्ट औ उनके इस्तीफेे से पहले की पृष्ठभूमि में हुए विभिन्न राजनीतिक घटनाक्रमों का विवरण दिया। सोनियां गांधी ने भी पुस्तक पर प्रतिक्रिया दी और इसकी सामग्री पर आपत्ति जताई थी।

पत्नी है पंजाब के पूर्व सीएम की बहन


अगस्त 1967 में नटवर सिंह ने पटियाला के अंतिम महाराजा यादविंद्र सिंह की बड़ी बेटी हेमिंदर कौर से विवाह किया, जो पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की बहन थी। संबंध में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भूमिका निभाई थी।

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