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शिवलिंग पर इस तरह से बेल पत्र चढ़ाने पर प्रसन्न होते है भगवन शंकर, जानें पूजा-अर्चना के सही नियम

Bemetara News: बेलपत्र और बेल का पेड़ संपन्नता पवित्रता और समृद्धि देने वाला है। शिवपुराण अनुसार श्रावण मास में बेलपत्र को सोमवार या हर दिन शिवलिंग पर चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है।

बेमेतराAug 13, 2023 / 05:45 pm

Khyati Parihar

Worship of Lord Shiva is incomplete without Bel Patra

बेल पत्र बिना अधूरी है भगवान शिव की आराधना

Chhattisgarh News: बेरला। ग्राम मटिया (बारगांव) में स्व. रजऊ राम साहू व स्व. बूंदा बाई साहू की स्मृति में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के 6वें दिन शनिवार को कथावाचक राष्ट्रीय प्रवक्ता पं. नितेश महाराज (वृंदावन धाम वाले) ने बेल पत्र महिमा का बखान करते हुए भक्तों से कहा कि सावन माह, शिवरात्रि या साप्ताहिक सोमवार को भगवान शिव जी की आराधना में बेल पत्र यानि बिल्व पत्रों का विशेष महत्व है।
उन्होंने कहा कि शिवलिंग पर सिर्फ बिल्व पत्र ही अर्पित किये जाएं तब भी भगवान भोले अपने भक्त की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। बिल्व पत्र के वृक्ष को ‘श्री वृक्ष’ और ‘शिवद्रुम’ भी कहते हैं। बिल्वाष्टक और शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। मान्यता है कि बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापो का नाश होता है। वहीं सातवें व अंतिम दिन 13 अगस्त को हवन पूजा, पूर्णाहुति व अमृत स्नान होगा।
CG Hindi News: कथा में प्रमुख रूप से डॉ प्रकाश तिवारी, हीरा साहू, जयलाल वर्मा, तनेश्वर साहू, कल्याणी साहू, देवेंद्र वर्मा, सतीश यादव, धर्मेंद्र पटेल, श्याम साहू, गणेश साहू, बोसेन्द्र पांडेय, विजय साहू, संजय श्रीवास्तव, सनत चौधरी, भरत वर्मा, डॉ केके वर्मा, श्रीराम साहू, रामकुमार निषाद, ईश्वर साहू, भगत साहू आदि मौजूद रहे।
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शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने की सही विधि

पं. नितेश महाराज ने बताया कि बेलपत्र और बेल का पेड़ संपन्नता पवित्रता और समृद्धि देने वाला है। शिवपुराण अनुसार श्रावण मास में बेलपत्र को सोमवार या हर दिन शिवलिंग पर चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। शिवलिंग का बिल्व पत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है। बिल्ब पत्र से भगवान शिव ही नहीं उनके अंशावतार बजरंग बली भी प्रसन्न होते हैं।
बेल पत्र तोड़ने के नियम

यदि आप शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र तोड़ रहे हैं तो सबसे पहले बेल वृक्ष को प्रणाम कर लें। उसके बाद केवल बेलपत्र ही तोड़ें। तिथि के समापन और प्रारंभ के बीच वाले समय में बेलपत्र न तोड़ें। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें। साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए। साथ ही इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही शिव जी को अर्पण करना चाहिए।
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पाप न करने का संकल्प जरूर लें

कथावाचक राष्ट्रीय प्रवक्ता पं. नितेश महाराज (वृंदावन धाम वाले) ने कहा इस समाज में चाहे पति कितना भी आगे बढ़ जाए और चाहे पत्नी भी कितनी आगे बढ़ जाए लेकिन दोनों को चाहिए कि अपनी भक्ति से एक-दूसरे को प्रभावित करें। उन्होंने कहा कि शिवपुराण की (CG Hindi News) कथा सुनने के बाद हमारा मोक्ष तभी होगा जब हम आगे जीवन में पाप न करने का संकल्प लें और भोलेनाथ के प्रति अपने अगाध श्रद्धा बताते हुए अपने जीवन को पवित्र और पुनीत बनाएं।

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