– ब्लेफैरोस्पास्म तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्या है। जिसमें पलकों में असामान्य ऐंठन आने से ये जबरन बंद हो जाती हैं।
– मेगेस सिंड्रोम की स्थिति में चेहरे के ऊपरी और निचली दोनों भागों की मांसपेशियां सिकड़ने लगती हैं।
– राइटर्स क्रैम्प की समस्या में व्यक्ति केवल एक या दो पृष्ठ लिख पाता है और फिर उसके हाथों की कुछ खास मांसपेशियों मेंं ऐंठन आने से वह लिख नहीं पाता। इन सभी समस्याओं में मांसपेशियों की अतिसक्रियता को आराम देने के लिए बोटॉक्स इंजेक्शन लगाया जाता है।
विशेषज्ञ बोटॉक्स का इंजेक्शन तीन माह के अंतराल पर लगाते हैं। इसे लगाने से पहले यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इसे बिल्कुल ठीक स्थान पर लगाया जाना चाहिए। कितनी डोज लेनी है, इंजेक्शन कहां लगाना है, किस प्रकार की सुई है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए, यह विशेषज्ञ तय करता है। इससे होने वाले दुष्प्रभाव भी कम हैं। कई बार एक ही जगह पर अनेक सूक्ष्म मांसपेशियां होने के कारण इससे पहले एनेस्थीसिया देने की जरूरत भी पड़ती है।
बोटॉक्स के दुष्प्रभाव काफी कम देखे जाते हैं। साइड इफेक्ट्स इसपर भी निर्भर करता है कि इंजेक्शन किस स्थान पर लगाया गया है। जहां यह इंजेक्शन लगाया जाता है वहां हल्का दर्द होता है। साथ ही सूजन भी आती है। कई बार इससे प्रभावित स्थान पर लालिमा पड़ना, सिरदर्द और थकान जैसी समस्याएं भी होती हैं। ये लक्षण कुछ समय या घंटे में अपने आप ठीक हो जाते हैं लेकिन ये तब भी ठीक न हों तो विशेषज्ञ से संपर्क कर तुरंत इलाज लें।