लक्षण : इस रोग से प्रभावित हिस्से की चमक कम होने से त्वचा रूखी, फटी और मोटी दिखाई देती है व उसमें खुजली भी होती है। सोरायसिस के क्रॉनिक व गंभीर होने पर करीब 40 प्रतिशत रोगियों में जोड़ों में दर्द व सूजन जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं। इस अवस्था को सोराइटिस आर्थराइटिस कहते हैं। यह बीमारी सर्दियों में ज्यादा परेशान करती है।
होम्योपैथिक उपचार-
सोरायसिस के उपचार में बाह्य प्रयोग के लिए एंटिसोरियेटिक क्रीम/ लोशन/ ऑइंटमेंट की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। लेकिन जब बाह्योपचार से लाभ न हो तो एंटीसोरिक और सिमटोमेटिक होम्योपैथिक औषधियों का प्रयोग जरूरी होता है। लक्षणानुसार कुछ होम्योपैथिक औषधियां जैसे मरक्यूरस सौल, लाईकोपोडियम, सल्फर, सोराइन्म, आर्सेनिक अल्ब्म, ग्रफाइट्स आदि दी जाती हैं।
होम्योपैथी में शारीरिक व मानसिक लक्षणों को देखने के बाद ही उपचार किया जाता है इसलिए इन दवाओं का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह से ही करें।