जगदलपुर. राहुल के दो दिवसीय प्रवास ने कांग्रेसियों में नई जान फूंक दी है। शुक्रवार व शनिवार को राहुल के जिला मुख्यालय में रहने को प्रदेश भर के छोटे- बड़े नेताओं का जमावाड़ा कांग्रेस भवन में सुबह से ही है। प्रदेश के साथ ही ओडिशा व केंद्र स्तर के कांग्रेसी व उनके सहयोगी दलों के लोग भी यहां डेरा डाल चुके हैं। गुरुवार रात से ही कांग्रसी कार्यकर्ता अपने नेता के स्वागत की तैयारियों में मशगुल रहे। आम तौर पर कांग्रेस भवन में छाया रहा सूनापन भी इन दिनों दूर हो गया है।
नगरनार निजीकरण के विरोध का शंखनाद
नगरनार में निर्माणाधीन स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में सबसे मुखर विरोध कांग्रेसियों ने ही किया था। इसके बाद इस मुद्दे को
आम आदमी पार्टी व जनता कांग्रेगस छत्तीसगढ़ ने लपक लिया था। जकांछ तो इस मसले को लेकर 15 अगस्त से लौह अयस्क परिवहन को रोकने की धमकी दे चुकी है। इसके बाद इस मसले को हाथ से फिसलते देख कांग्रेसियों ने बड़ा कदम उठाते राहुल को
इसकी कमान सौंपने का निश्चय किया।
बस्तर में पैठ बनाने नगरनार साबित हो सकता है बड़ा पैमाना
बस्तर मेंं कांग्रेस अपने खोते जा रहे जनाधार को पक्का करने नगरनार के रास्ते पैठ बना रही है। राजनैतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस का यह कदम सही समय में उठाया हुआ बड़ा कदम है। यदि राहुल इस समस्या को थाम लेंगे तो यह आने वाले समय में राज्य की राजनीति में कांग्रेस को मजबूत आधार देने वाला कदम साबित होगा।
भाजपा की किरकिरी
इधर नगरनार के मसले पर भाजपा की बेहद किरकिरी हो रही है। जनप्रतिनिधियों ने पहले तो इस मुद्दे को लेकर प्रदेश व केंद्र स्तर पर दबाव बनाने कहा जरुर था। स्थानीय तो दूर प्रदेश स्तर के नेताओं की भी केंद्र में एक न चलने से वे इस मामले में बात करने से भी कतरा रहे हैं। हालांकि भाजपाईयों में भी नगरनार के निजीकरण को लेकर खासी नाराजगी देखी जा रही है।
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