12 बार कांग्रेस ने फतह हासिल की
उल्लेखनीय है कि दौसा लोकसभा सीट पर 1952 से 2019 तक 19 बार सांसद के चुनाव हो चुके, जिनमें 12 बार कांग्रेस ने फतह हासिल की, जबकि 2 बार स्वतंत्र पार्टी, 1 बार जनता पार्टी, 3 बार भाजपा व 1 बार निर्दलीय प्रत्याशी यहां से संसद पहुंच चुके है। यहां से सांसद रहे पं. नवल किशोर शर्मा केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री व केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री रह चुके। वहीं राजेश पायलट गृह राज्य मंत्री रहे हैं।
परिसीमन के बाद बदला राजनीतिक गणित
वर्ष 2009 में दौसा लोकसभा सीट का परिसीमन हो गया और यह सीट अनुसूचित जनजाति यानि एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। वर्ष 2009 में हुए चुनाव में निर्दलीय डॉ. किरोड़ी लाल मीना सांसद चुने गए। 2014 में भाजपा के हरीश चन्द्र मीना व 2019 में भाजपा की जसकौर मीना सांसद चुनी गई। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दौसा विधायक मुरारी लाल मीना को तो भाजपा ने पूर्व विधायक कन्हैया लाल मीना को प्रत्याशी बनाया है।
दौसा लोकसभा सीट पर 1952 में पहले सांसद कांग्रेस के राजबहादुर चुने गए थे। 1957 में कांग्रेस के जीडी सोमानी, 1962 में स्वतंत्र पार्टी के पृथ्वीराज तो 1967 में भी स्वतंत्र पार्टी के ही आरसी गणपत सांसद चुने गए। 1968 में दौसा निवासी कांग्रेस नेता पं. नवल किशोर शर्मा कांग्रेस के टिकट पर दौसा सांसद निर्वाचित हुए। 1972 में भी पं. नवल किशोर सांसद चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के नाथूसिंह गुर्जर कांग्रेस के पं. नवल किशोर शर्मा को पटखनी देकर लोकसभा पहुंचे। 1980 में कांग्रेस के पं. नवल किशोर शर्मा फिर सांसद चुने गए।
इसके बाद दौसा सीट पर राजेश पायलट की एंट्री हो गई और वे 1984 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए। लेकिन 1989 में राजेश पायलट को भरतपुर से टिकट दे दिया और वे हार गए। जबकि दौसा से 1989 में भाजपा से पहली बार नाथूसिंह गुर्जर सांसद चुने गए। इसके बाद फिर से 1991, 1996, 1998 व 1999 में कांग्रेस के राजेश पायलट लगातार चार बार सांसद चुने गए थे। सड़क दुघर्टना में राजेश पायलट के निधन के बाद वर्ष 2000 में हुए उप चुनाव में राजेश पायलट की पत्नी रमा पायलट सांसद चुनी गई। 2004 के लोकसभा चुनाव में राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट को प्रत्याशी बनाया गया और वे सांसद चुने गए।