दरअसल, नगर परिषद की ओर से करीब 14 साल पहले गेहूं गांव में ग्रामीणों को कचरा निस्तारण केन्द्र प्रोजेक्ट स्थापित करने का सपना दिखाया। जिसमें बकायदा शर्त रखी थी िकि ट्रीटमेंट प्लांट लगने से ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। उस दौरान नगर परिषद ने करीब 50 लाख रुपए खर्च कर कमरे व टीनशेड बनाए गए, लेकिन पूरा प्रोजेक्ट लगाने में नगर परिषद नाकाम हुई। उसके बाद यह गंदगी ग्रामीणों के लिए मुसिबत बन गई।
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इन मांगों पर चार माह पहले बनी थी सहमति
– कचरा प्लांट के चारों तरफ मजबूत चार दिवारी व तारंबदी
– प्लांट के मुख्य द्वार पर 24 घण्टें नगर परिषद का कार्मिक तैनात
– कचरा प्लांट में प्रतिदिन किटनाशक का छिड़काव
– बाड़मेर शहर से कचरा पॉइंट तक सड़क को डबल किया जाएं
– एनजीटी की ओर से दिए गए आदेश की पालना करवाते हुए नियमों का पालन
– ठोस कचरा निस्तारण की मशीन व प्लांट लगाकर सॉलिड मैनेजमेंट-2016 के नियमों की पालना
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– पौने दो करोड़ की जरुरत
कचरा प्लांट पर पुराने कचरे को निस्तारण करने के लिए पौने दो करोड़ की जरुरत है। डीपीआर बनाकर भेज दी गई है, स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे कुछ होगा। 50 लाख रुपए की स्वीकृति मिली है, उसका टेण्डर जारी कर रहे है। पौने दो करोड़ रुपए की स्वीकृति के लिए जयपुर स्तर पर प्रयास चल रहे है। – दलीप डूडी, आयुक्त, नगर परिषद, बाड़मेर