मामला दहेज प्रताडऩा में दर्ज हुआ है, जिसमें रसाल के पीहर पक्ष ने आरोप लगाया है कि उसको मानसिक प्रताडि़त किया जाता था। यानि पारिवारिक कलह यहां पर भी इस कदर हो गई थी जहां समझाइश की गुंजाइश को तलाशने की जरूरत थी। परिवार, समाज और आस पड़ोस जिसने भी इस घटना को सुना उसका कलेजा कांप गया…मासूमों को फंदे पर लटकने के दर्द को हर किसी क दिल समझ रहा था। सवाल यहां पर भी परिजनों और अन्य का यही था कि बेचारे बच्चों ने क्या बिगाड़ा था? इन दो मासूमों की मौत के साथ ही संख्या बढ़कर 52 हो गई है।
तड़पकर हुई मौत
इन मासूम बच्चों को न तो फांसी का पता है और न ही आत्महत्या का। इनकी उम्र गोद में खेलने और खाने पीने की रही थी। मां ने जब इनको गोद में उठाया तो मां भले ही गुस्से में आपा खो चुकी थी लेकिन दो साल का मासूम विक्रम तो यही समझा होगा न कि मां हो सकता है दूध पिलाने के लिए उठा रही हों। विक्रम भी तो मां के इस रूप में रोया चिल्लाया होगा, लेकिन गुस्से के आगे बेबस थे। दोनों मासूमों की तड़पकर हुई मौत ने एक बार फिर बच्चों की पारिवारिक झगड़ों में दुर्दशा की कलेजा कांपने वाली तस्वीर सामने लाई है।
टूटा राखी का धागा…
इस घटना का सबसे ज्यादा दर्द भुगतेगी तो वो ***** जो इस दौरान ननिहाल थी और पंद्रह दिन बाद राखी है। साढ़े तीन साल की यह गुडि़या भाई विक्रम के राखी बांधने के लिए ननिहाल से वह पंद्रह दिन बाद वह आने वाली थी। लेकिन उसको क्या पता कि उसकी राखी का धागा सदा-सदा के लिए टूट गया है। उम्रभर यह ***** अब इस दर्द को पालेगी कि अब उसको जीवनभर के लिए छोड़ गए है और वो मां भी तो नहीं रही जो उसके इस दर्द में सिर पर हाथ रख सके। जिस ***** के साथ वह खेलती थी, वह भी तो….,इसका संसार उजड़ गया।