इसका उद्देश्य है देश में मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास में मछली किसानों, एक्वाप्रेन्योर (जल क्षेत्र में उद्यमी) और मछुआरों की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता देना। साथ ही स्थायी स्टॉक और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को सुनिश्चित करने के लिए देश के मत्स्य संसाधनों के प्रबंधन के तरीके को बदलने के लिए ध्यान आकर्षित करना।
साथ ही उन्होंने मछली पालन के लिए अनुकूल दशाएं, मछली की प्रजातियां, बीज की उपलब्धता भण्डारण एवं विपणन की तकनीकी जानकारी प्रदान की। केन्द्र के विषय विशेषज्ञ डॉ. बाबूलाल जाट ने बताया कि मछली पालन के क्षेत्र में सतत विकास के लिए देश में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना चलाई जा रही है जो आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
डॉ. हरि दयाल चौधरी ने बताया कि मछली पालन के लिए मछली की प्रजाति का चयन करना बहुत आवश्यक है। भारत में रोहू, कतला, सिवर, ग्रास, भाकुर व नैना प्रजाति की मछलियां मुख्य रूप से पाई जाती है।