क्योंकि सावन-भादवा में बारिश होने पर बाजरा की बुवाई थोड़ी कम हो सकती है। जिले में खरीफ की बुवाई करीब १९ लाख हैक्टेयर में होती है। बाजरा के साथ मूंग, मोठ, तिल और ग्वार की बुवाई यहां प्रमुखता से होती है।
अमूमन थार में मानसून पूर्व बारिश होती है जो जेठ माह में हो जाती है। इस पर किसान खेती कर लेते हैं, इसके बाद मानसून सक्रिय होता है तो आषाढ, सावन और भाद्रपद(भादवा )में बारिश का दौर चलता है।
अंग्रेजी माह के अनुसार बारिश जून के आखिरी पखवाड़ में होती है और जुलाई-अगस्त में सप्ताह-दस दिन तक भी बारिश चलती है। एेसे में सामान्य या अधिक बारिश होने पर जिले में खरीफ फसलों की बम्पर पैदावार हो जाती है। इस बार इन्द्र भगवान की मेहरबानी अब तक जिले पर नहीं हुई है। इस पर किसानों की चिंता बढ़ गई है।
बाड़मेर में रहा मानसून पर बरसे नहीं बादल- मौसम विभाग के अनुसार जून के आखिरी सप्ताह में मानसून बाड़मेर तक पहुंच गया। इस दौरान यहां सात दिन तक रुका रहा लेकिन हकीकत की धरातल पर बाड़मेर में ना तो बादलों की घटाटोप रही ना ही बारिश का दौर चला। हालांकि लोग इंतजार जरूर करते रहे कि मानसून की बारिश होगी, लेकिन एेसा नहीं हुआ।
एक-एक दिन पड़ रहा भारी- पिछले कुछ दिनों से जैसे-जैसे बारिश का इंतजार बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे किसानों के लिए एक-एक दिन भारी पड़ रहा है। एक तरफ जहां गर्मी परेशान कर रही है तो दूसरी ओर बारिश नहीं होने किसान परेशान है। क्योंकि जेठ-आषाढ़ में बारिश होती है तो फिर सावन-भादवा में एक-दो बारिश होते ही फसलें तैयार हो जाती है। अब बारिश होने पर सावन-भादवा में कम से कम सात-आठ बारिश अंतराल में नहींं हुई तो फसलों को फायदा नहीं मिलेगा।
लक्ष्य की प्राप्ति में दिक्कत- कृषि विभाग के अनुसार करीब १९ लाख हैक्टेयर में बुवाई होनी है। अब जबकि जुलाई के प्रथ्म सप्ताह के समाप्ति तक बारिश नहीं हो रही है तो बुवाई में किसान कटौती कर सकते हैं जिस पर लक्ष्य की प्राप्ति में कमी आ सकती है।
15 जुलाई तक बारिश तक उम्मीद – 15 जुलाई तक बारिश होने पर लक्ष्य के अनुरूप बुवाई की उम्मीद है। इसके बाद किसान बाजरा की बुवाई कम करेंगे। अभी भी बारिश हो जाए तो फायदा मिल सकत है।– डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके गुड़ामालानी