कैसे खुला मामला
अगस्त 2024 में हाईवे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और परिसंपत्तियों के मुआवजे का मूल्यांकन किया गया था। इस प्रक्रिया में अमीन, लेखपाल और एनएचएआई के प्रतिनिधियों की टीम ने संयुक्त रूप से सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की थी। लेकिन जब नवागत एनएच पीडी (प्रोजेक्ट डायरेक्टर) ने कार्यभार संभाला, तो कई गड़बड़ियों का पता चला। मामला शासन तक पहुंचा, जिसके बाद इसकी जांच के आदेश दिए गए।
कमिश्नर ने की जांच, लेखपालों की संदिग्ध भूमिका उजागर
शासन के आदेश पर कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने एडिशनल कमिश्नर प्रीति जायसवाल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। एडिशनल कमिश्नर जायसवाल ने अमरिया और जहानाबाद में जाकर जमीन पर जांच की। जांच पूरी होने पर पीलीभीत के छह लेखपालों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। इसके बाद बिंदुवार रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी गई, जिसमें परिसंपत्तियों के गलत मूल्यांकन का आरोप राजस्वकर्मियों पर तय पाया गया। इन अधिकारियों पर गिरी गाज
जांच रिपोर्ट के आधार पर अमरिया के एसडीएम मयंक गोस्वामी और सदर तहसील के एसडीएम महीपाल सिंह ने संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी किए।
निलंबित लेखपालों की सूची:
- विनय कुमार (क्योलारा, तहसील अमरिया)
- आलोक कुमार (हुसैननगर और सरदारनगर)
- मुकेश गंगवार (जगमहन)
- ज्ञानदीप गंगवार (कुर्री)
- मुकेश कुमार मिश्रा (सदर तहसील)
- तेजपाल गंगवार (तत्कालीन लेखपाल, वर्तमान राजस्व निरीक्षक)
इसके अलावा, दिनेश मिश्रा, जो पूरनपुर से कानूनगो के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनके खिलाफ भी शासन को रिपोर्ट भेजी गई है।
डीएम ने दी चेतावनी
डीएम संजय कुमार सिंह ने कहा कि बरेली-पीलीभीत-हरिद्वार हाईवे के भूमि अधिग्रहण और मुआवजे की प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी को लेकर मंडलीय कार्यालय से जांच कराई गई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर चार लेखपाल और एक कानूनगो को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।