दस साल पहले हुई थी बाइक दुर्घटना
दिवाकर के परिवार के मुताबिक, भमौरा निवासी कैलाश दिवाकर की बाइक 10 साल पहले किसी अन्य बाइक से टकरा गई थी, जिसमें वे खुद भी घायल हो गए थे। इस हादसे के बाद दूसरे पक्ष ने कोर्ट में मामला दर्ज कराया, लेकिन दिवाकर के परिवार का कहना है कि उन्हें इस केस की कोई सूचना या समन नहीं मिला। अचानक पुलिस ने बिना नोटिस के घर आकर दिवाकर को गिरफ्तार कर लिया।
जिलाध्यक्ष का आरोप: बिना समन दिए दबिश
जिलाध्यक्ष आदेश प्रताप सिंह ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वारंट था तो पहले नोटिस जारी करना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान परिवार के साथ अभद्रता की और कार्यकर्ता का अपराध एक सामान्य हादसा था, कोई आपराधिक कृत्य नहीं।
प्रशासनिक अधिकारियों से की शिकायत
कैलाश दिवाकर को कोर्ट में पेश कर जेल भेजने के बाद जिलाध्यक्ष और अन्य कार्यकर्ताओं ने इस मामले की शिकायत एसपी देहात और सीओ नीरज मिश्र से की। उनका आरोप है कि इस गिरफ्तारी में पुलिस का रवैया अशोभनीय था। दूसरी ओर, सीओ नीरज मिश्र ने बताया कि गैर-जमानती वारंट होने की वजह से दबिश दी गई थी, और कोर्ट से आदेश मिलने के बाद कैलाश को जेल भेजा गया।